केजरीवाल की 'सेप्टिक टेंक योजना' से ₹45 करोड़ गायब: RTI पे मिले 2 अलग-अलग जवाब

18 दिसम्बर, 2021 By: DoPolitics स्टाफ़
आरटीआई ने खोली केजरीवाल सरकार की पोल, 45 करोड़ रुपए गायब

RTI एक्टिविस्ट विवेक पांडे द्वारा प्राप्त सूचना के अधिकार (आरटीआई) के उत्तर ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर सवाल उठा दिए हैं। इस आरटीआई में ‘मुख्यमंत्री सेप्टिक टैंक सफाई योजना’ के नाम पर धन के उपयोग को लेकर सवाल पूछे गए थे, जिसमें दिल्ली सरकार ने पैसों के विषय में 2 अलग-अलग आरटीआई में अलग-अलग उत्तर दिए और ₹45 करोड़ की हेर-फेर भी सामने आई है। 

यह योजना दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2019 में स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा और कचरे के उचित प्रबंधन के नाम पर शुरू की थी। इसके अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को राजधानी दिल्ली में सेप्टिक टैंकों की सफाई और रखरखाव के लिए 80 ट्रक तैनात करने थे। 

इसी विषय में शुक्रवार (17 दिसंबर, 2021) को RTI एक्टिविस्ट विवेक पांडे द्वारा डाली गई एक आरटीआई का डीजेबी की ओर से जवाब आया।


इस आरटीआई के जवाब से पता चला कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए ₹50 करोड़ और वर्ष 2020-21 के लिए ₹110 करोड़ आवंटित किए थे। एक महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आई कि वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने आवंटित किए गए किसी भी फंड का उपयोग नहीं किया था।

साथ ही दिल्ली सरकार ने 2020-21 के लिए ₹113.35 करोड़ खर्च किए, जबकि आवंटित राशि केवल ₹110 करोड़ थी। इसी तरह सामान स्थिति 2021-22 के लिए देखी गई, इन सालों के लिए आप सरकार ने कोई फंड आवंटित न होने के बाद भी ₹4.96 करोड़ खर्च कर दिए। 


अलग RTI में अलग जवाब 

बता दें कि 24 फरवरी, 2021 को विवेक द्वारा ही एक अन्य आरटीआई डाली गई थी। इसके उत्तर ने दिल्ली सरकार की मंशा पर बड़े प्रश्नचिन्ह लगा दिए। जहाँ पहली आरटीआई के जवाब में 2019-20 के लिए ₹5 करोड़ के फंड आवंटन की बात कही गई थी। नए आँकड़ों में यह राशि ₹50 करोड़ तक पहुँच गई। 


दोनों आरटीआई के जवाबों ने यह स्पष्ट कर दिया कि आवंटित धन का जनता के लिए कोई उपयोग नहीं किया गया था। इसके साथ ही विवेक पांडे ने ₹45 करोड़ गायब होने पर भी सवाल उठाया।

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा:

“मुख्यमंत्री सेप्टिक टैंक सफाई योजना के बारे में जानकारी माँगने के लिए #DLJBD में आरटीआई दायर की गई। इसपर दो समान आरटीआई में अलग-अलग जवाब मिला। वर्ष 19-20 में जारी फंड 5 करोड़ था और हाल ही की आरटीआई में 50 करोड़। 45 करोड़ रुपयों का क्या हुआ?”

मीडिया से बातचीत करते हुए पांडे ने आगे कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर पाइप उपलब्ध नहीं हैं और इसलिए उन क्षेत्रों में सेप्टिक टैंक की बड़ी आवश्यकता है। पर्याप्त धन मिलने के बाद भी डीजेबी इसका उपयोग करने में विफल रहा है। 



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