गंगा-जमुनी तहज़ीब का अमचूर पीसकर अपनी राजनीतिक चटनियाँ बनाने वाले लगभग हफ्ते भर से मीडिया-सोशल मीडिया एवं धरातल पर भी कहीं दिख नहीं रहे हैं। कश्मीर के श्रीनगर में हुई जबरन धर्मंतरण की घटना के बाद कथित सिख-मुस्लिम एकता के नाम पर अपने कुर्ता फाड़ कर ‘आंदोलन-आंदोलन’ चिल्लाने वालों को न तो अब सीएए याद आ रहा है न ही तथाकथित अन्नदाताओं का आंदोलन।
श्रीनगर के इस ‘लव-जिहाद’ प्रकरण से न केवल सिख व हिंदू समाज की लड़कियों को सीख लेने की आवश्यकता है, अपितु संपूर्ण हिंदू सभ्यता एवं उसकी शाखाएँ यानी बौद्ध, जैन इत्यादि को भी सचेत होकर यह सोचना होगा कि वे किस सोच, किस विचारधारा के विरुद्ध रणभूमि में उतरे हैं। इस रण में वे जीतने के विषय में तो बाद में सोचेंगे, लेकिन सर्वप्रथम वरीयता तो अभी उन्हें अपने अस्तित्व मात्र के संरक्षण को ही देनी है।
Srinagar Love Jihad Ground Report: Sikh Girl Marries Sikh Boy | Kashmir Love Jihad –
श्रीनगर में दो लड़कियों का सिख धर्म से पंथ परिवर्तन कराकर इस्लाम कुबूलवाने के उपरांत उनका निकाह शनिवार (26 जून, 2021) को दो मुस्लिम युवकों से करा दिया गया। इन दोनों बच्चियों, मनमीत और धनमीत नामक लड़कियों की उम्र क्रमशः 18 एवं 32 साल है। मनमीत का निकाह एक 46 साल के मुस्लिम से करा दिया गया, जो कि पहले ही 2 शादियाँ कर चुका है तथा उसकी एक 8 वर्ष की बेटी भी है।
बता दें कि 18 साल की मनमीत अभी स्कूल की 12वीं कक्षा में है एवं कुछ समय पूर्व ही उसके सिर का ऑपरेशन हुआ था। सिख समुदाय के लोगों द्वारा बताया गया है कि इसी कारण अभी मनमीत की मानसिक स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं है।
समुदाय विशेष के जिस व्यक्ति से मनमीत का निकाह करवा दिया गया, उसका सिख परिवार के घर में एक लंबे समय से आना जाना था। उसने मनमीत के 18 वर्ष के होने की प्रतीक्षा की तथा उसके बालिग होने के पश्चात बहुत चालाकी से यह खेल खेला गया।
दोनों लड़कियों का कोर्ट में 26 जून को निकाह करवाया गया। किसी तरह सिख समुदाय के कुछ युवकों को इस घटना के विषय में जानकारी मिल गई। जब वे निकाह पूर्ण कर के कोर्ट से निकल रहे थे तो सिख युवकों द्वारा 18 वर्षीय मनमीत को मुस्लिम परिवार के चंगुल से किसी प्रकार छुड़ा लिया गया।
इसके उपरांत हाईकोर्ट के बाहर सिख समुदाय द्वारा प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया गया।
सिख समुदाय में इस मामले को लेकर भीषण आक्रोश था तथा वे बार-बार इसे योजनाबद्ध प्रकार से किए गए लव-जिहाद का नाम दे रहे थे। उनका कहना था कि कश्मीर में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है तथा वहाँ वे स्वयं को अकेला पाते हैं।
‘डू-पॉलिटिक्स’ द्वारा इस पूरे मामले की ग्राउंड रिपोर्टिंग की गई। 29 जून, 2021 को स्थानीय सिखों द्वारा समुदाय के स्तर पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। उन्होंने कट्टरपंथियों के चंगुल से छुड़ाई गई 18 वर्षीय मनमीत कौर का विवाह एक सिख युवक के साथ करने का फैसला किया।
पुलवामा में छठी पातशाही का एक गुरुद्वारा स्थित है। यहीं पर मनमीत कौर का सुखबीर सिंह नामक एक युवक से आनंद कारज संपन्न हुआ। हमारी टीम द्वारा समारोह के एक्सक्लूसिव चित्र भी साझा किए गए थे।
ऐसे मामलों में अधिकतर परिवार द्वारा दबाव बनाए जाने के आरोप लगाए जाते हैं, परंतु इस पूरे घटनाक्रम में ऐसा कुछ सामने नहीं आया। चित्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि लड़की विवाह से संतुष्ट एवं प्रसन्न प्रतीत हो रही है। विवाह संपन्न होने के बाद समस्त परिवार दिल्ली प्रस्थान कर गया।
यह कश्मीर में सिख समुदाय के साथ हुई पहली या एकमात्र घटना नहीं है। ‘डू-पॉलिटिक्स’ के सह-संस्थापक एवं एडिटर अजीत भारती ने जब स्थानीय लोगों से बातचीत की तो यह सामने आया कि क्षेत्र में ऐसे ही करीब 10 से 11 मामले हो चुके हैं। इनमें सिख समुदाय की लड़कियों का निकाह कराकर पंथ परिवर्तन कराया गया है।
कश्मीर में 90 के दशक में हिन्दुओं के साथ हुए नरसंहार के उपरांत घाटी में बचे सिखों की स्थिति भी कुछ विशेष अच्छी नहीं है। आर्टिकल 35A के चलते उन्हें कुछ विशेष अधिकार प्राप्त नहीं हैं। उन्हें मूलतः घाटी में साफ-सफाई एवं सड़कें साफ करने जैसे कार्य दिए गए।
एक समय पर महाराजा रणजीत सिंह द्वारा शासित भूमि पर उन्हीं के वंशजों के साथ किया गया इस प्रकार का अमानवीय भेदभाव किसी भी भीषण पाप से कम नहीं है। बता दें कि क्षेत्र में कुल सिख आबादी इस समय मात्र 42,000 रह गई है।
हर मामले की तरह इस मामले को भी राजनीतिक हथियार की भाँति प्रयोग करने का संपूर्ण प्रयास किया गया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे स्वयं को सिख समुदाय का तथाकथित नेता घोषित करने वाले लोगों ने मामले पर राजनीतिक रोटियाँ सेकने का पूर्ण प्रयास किया।
सिरसा द्वारा एक समय पर हिंदुओं के लव-जिहाद और पंथ परिवर्तन के मुद्दे को एक झूठ बताया गया था। अब जब सिख समुदाय के साथ एक नृशंस घटना हुई तो यह व्यक्ति उस पर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने सबसे आगे नज़र आया।
बता दें कि सिरसा द्वारा मामले को लेकर निरंतर सीएए में परोसी गई बिरयानी तथा मुस्लिम-सिख एकता की बातें की गईं। वास्तव में सिरसा जैसे लोग सर पर पगड़ी बाँध कर अपने गुरुओं का ही अपमान कर रहे होते हैं। सिख गुरुओं, उनके बच्चों की निर्मम हत्या किन लोगों ने की क्या सिरसा जैसे लोग यह नहीं जानते?
…और आप उनके साथ लंगर लगा कर उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो अपने मजहबी उद्देश्यों की पूर्ती के लिए हमारी और आपकी बहन बेटियों के 18 साल का हो जाने का इन्तजार कर रहे हैं?
सिरसा ने अपने ट्वीट में भी आरोपितों के मजहब का ज़िक्र ना करते हुए ‘Different religion’ (दूसरे समुदाय) जैसी शब्दावली से संबोधित किया। इससे इस आदमी का भय एवं तुष्टिकरण स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है।
कई ट्विटर हैंडलों द्वारा संघी एवं हिंदूवादी संगठनों के नैरेटिव हाईजैक करने जैसी बातें लिखी गईं। ऐसी निम्न सोच रखने वाले लोग पहले यह समझ लें कि यह समस्या केवल भारत या हिंदुओं की नहीं है, अपितु यह पूरे विश्व में इस्लामी सोच द्वारा किए जा रही ग्रूमिंग जिहाद और लव-जिहाद की समस्या है।
यूरोप के कई देशों से लेकर पाकिस्तान तक में भी हिंदुओं-सिखों की लड़कियों के साथ इस प्रकार के अनेक कृत्य विभिन्न कालखंडों पर समक्ष आते रहे हैं। इन सभी मामलों पर सिरसा जैसे राजनीतिक लोग मौन ही नजर आते हैं।
ऐसे तथाकथित सिख नेताओं को गंभीरता से न लेते हुए समस्त सिख एवं हिंदू समुदाय के लोगों और मूलतः बच्चियों को यह समझना होगा कि वे किस दानवीय विचारधारा से लड़ रहे हैं। यह माँ-बाप और अभिभावकों का भी कर्तव्य बनता है कि अपने बच्चों को इन मामलों को लेकर समझाएँ ताकि आने वाले भविष्य में न तो किसी निकिता तोमर को अपनी जान देनी पड़े न किसी मनमीत को भेड़ियों के झुंड से छुड़ाकर लाने की आवश्यकता हो और न ही किसी अन्य हिंदू बच्ची की लाश नदी किनारे सूटकेस में मिले।