'लिबरल NGO' का अजेंडा ठन्डे बस्ते में: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चार धाम राजमार्ग परियोजना को SC की मंजूरी

14 दिसम्बर, 2021
सर्वोच्च न्यायालय ने सुरक्षा की दृष्टि से चार धाम राजमार्ग को चौड़ा करने के रक्षा मंत्रालय के अनुरोध को किया स्वीकार

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार (14 दिसंबर, 2021) को चीन के साथ LOC यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर गंभीर निर्णय लिया है। इसी कड़ी में न्यायालय ने उत्तराखंड स्थित चार धाम राजमार्ग को चौड़ा करने की अनुमति देने के रक्षा मंत्रालय के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

केंद्र की ‘चार धाम राजमार्ग परियोजना’ को स्वीकृति देते हुए NGO ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की आपत्ति पर कोर्ट ने कहा कि हाईवे निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है। कोर्ट ने सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करने के लिए एक समिति का गठन भी किया है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रमनाथ की एक पीठ ने रक्षा मंत्रालय द्वारा दायर किए गए एक आवेदन को न्यायालय में 8 सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन की अनुमति दे दी है। इसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को अपने 2018 चार धाम सड़क परियोजना के क्रियान्वयन में पहाड़ी इलाकों में सड़कों की चौड़ाई से सम्बंधित परिपत्र पर टिके रहने के लिए कहा था। बता दें कि वर्ष 2018 में राजमार्गों के लिए 5.5 मीटर चौड़ी सड़कों के दिशा निर्देश निर्धारित किए गए थे।

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने इस विषय में यह महसूस किया कि सड़कों की निर्धारित की गई चौड़ाई सुरक्षा की दृष्टि से और ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट जैसे रणनीतिक हथियारों की आवाजाही के लिए पर्याप्त नहीं थी, इसी कारणवश मंत्रालय द्वारा न्यायालय से इसे 10 मीटर तक संशोधित करने का आग्रह किया गया।

न्यायालय ने सरकारी आवेदन को दी स्वीकृति 

मंत्रालय द्वारा डाली गई इस याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई दुर्भावना नहीं है। न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं को डिजाइन करने के लिए अधिकृत है।

इसी के साथ न्यायालय ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया कि सुरक्षा समिति की बैठक में उठाई गई सुरक्षा चिंताओं से रक्षा मंत्रालय की प्रामाणिकता स्पष्ट है।

न्यायालय ने आगे अपने आदेश में कहा: 

“हम तीन स्ट्रेटेजिक (रणनीतिक) राजमार्गों के लिए दो-लेन वाले राजमार्गों के रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए आवेदन की अनुमति देते हैं।”

न्यायालय ने अपने पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति भी बनाई है जो समस्त कार्य की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि किसी आदेश का कोई उल्लंघन न हो, और सभी निर्देशों का उचित रूप से पालन किया जाए।

अदालत ने रक्षाा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार व सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वह निगरानी समिति को पूरा सहयोग करेंगे।

दरअसल, केंद्र सरकार की चार धाम परियोजना का प्रमुख उद्देश्य उत्तराखंड में मौजूद चार धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। 900 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की लागत 12 हजार करोड़ रुपए अनुमानित है।

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन सड़कों पर केंद्र सरकार ने अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि भारत-चीन वास्तवित नियंत्रण रेखा की ओर से जाने वाली सीमा सड़कों के लिए यह फीडर सड़कें हैं। 

केंद्र सरकार परियोजना के तहत सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक करना चाहती है। इसके लिए केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसके तहत कोर्ट से माँग की गई थी कि वह सितंबर 8, 2020 को दिए अपने आदेश में संशोधन करे। इस आदेश के तहत सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर तक सीमित करने का आदेश दे दिया दिया गया था।



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