इस्लाम के खिलाफ है सूर्य नमस्कार: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम छात्रों को दी दूर रहने की हिदायत

04 जनवरी, 2022 By: DoPolitics स्टाफ़
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 'आज़ादी के अमृत महोत्सव' के तहत स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराए जाने का विरोध किया है

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सूर्य नमस्कार का विरोध किया है। बोर्ड का कहना है कि सूर्य नमस्कार एक तरह से सूर्य की पूजा करना है। बोर्ड का कहना है कि न तो इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है और न ही संविधान सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित करने की इजाजत देता है।

बता दें कि भारत सरकार की ओर से सभी राज्यों को एक जनवरी से सात जनवरी तक अपने स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश दिया गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम आयोजित किए जाने के इस निर्देश का विरोध किया है।

बोर्ड ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्म के अनुसार पूजा-प्रार्थना आदि करने की छूट दी गई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां सबको अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है।

बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है, इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है। इसलिए मौलाना भारत के बहुसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है।

मुस्लिम छात्र-छात्राओं को कार्यक्रम से दूर रहने की हिदायत

मौलाना ने मुस्लिम छात्र छात्राओं को सूर्य नमस्कार कार्यक्रम से दूर रहने की हिदायत भी दी। उन्होंने मुस्लिम छात्र-छात्राओं से आह्वान किया है कि वह स्कूलों में आयोजित होने वाले सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम का बहिष्कार करें और उसमें बिल्कुल भी शामिल नहीं हों।

उन्होने कहा कि मुस्लिम छात्र और छात्राओं को इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से बचना चाहिए क्योंकि इस्लाम उन्हें इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं देता है। उनका कहना है कि इस्लाम अन्य धर्मों की तरह सूर्य को देवता मानकर उसकी पूजा करने की अनुमति नहीं है।

निर्देश को बताया संविधान के खिलाफ

मौलाना ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के जरिए सभी राज्यों को जारी किया गए इस आदेश को संविधान के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करते हुए इस तरह के आदेश को वापस ले।

उन्होंने कहा कि स्कूलों में सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए स्कूलों में किसी खास धर्म की पूजा पद्धति को कराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मौलाना के अनुसार अगर सरकार वाकई देश से मोहब्बत का इजहार करना चाहती है तो उसे देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

मौलाना ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्म के अनुसार पूजा-प्रार्थना आदि करने की छूट दी गई है इसलिए किसी भी धर्म विशेष की पूजा पद्धति को सभी धर्मों के लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है।

उनका कहना है कि स्कूलों में इस तरह का कार्यक्रम बिल्कुल भी आयोजित नहीं किया जाना चाहिए, जिससे अन्य धर्मों के लोगों को उसे करने में परेशानी पेश आए। उन्होंने कहा कि सरकार को हमेशा राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम और योजनाएं बनाना चाहिए।

उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस पर अगर सरकार को स्कूलों में कोई कार्यक्रम आयोजित कराना है तो उसे देशप्रेम से जुड़े हुए गीत-संगीत आदि का कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए ताकि उसमें सभी धर्मों के लोग उसमें बढ़-चढ़कर के हिस्सा ले सकें।



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