युद्धग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान के कई क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर चुके तालिबान की नजर अब अफ़ग़ानी महिलाओं और बेटियों पर है। तालिबानी गिरोह ने क्षेत्र में 15 वर्ष से अधिक आयु की लड़कियों एवं 45 वर्ष तक की विधवा महिलाओं को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि इन सभी का तालिबानी लड़ाकों से निकाह कराया जाएगा।
चरमपंथी एवं आतंकवादी संगठनों ने अफ़ग़ानिस्तान के इलाकों में इस्लामी शरिया कानून के तालिबानी संस्करण को लागू करने का फैसला किया है। 1996-2001की अवधि में भी तालिबानियों ने अफ़ग़ानिस्तान पर शासन के दौरान महिलाओं को सिर से पैर तक छिपाने के लिए मजबूर किया, उन्हें अपने घरों के बाहर काम करने से रोक दिया, लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी, और यह कानून थोप दिए कि महिलाएँ घर के पुरुष सम्बन्धी के बिना बाहर नहीं निकलेंगी। वही पुरानी नीतियाँ अब उन क्षेत्रों में लौट आई हैं जो तालिबान के नियंत्रण में हैं।
बताया जा रहा है कि उत्तर-पश्चिमी प्रांत फ़रयाब के कई हिस्सों में, तालिबान ने दुकानों को आदेश दिया है कि वे बिना किसी सम्बन्धी के आने वाली महिलाओं को सामान न बेचें। अमेरिकी सेना के अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के साथ ही एक बार पुनः अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी आतंकी संगठन तालिबान ने पैर जमाने प्रारंभ कर दिए हैं।
तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के लगभग आधे ज़िलों पर अपना कब्ज़ा जमा चुका है और धीरे-धीरे पूरे अफ़ग़ानिस्तान को अपने अधीन करने की राह में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में तालिबान द्वारा उन सभी तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, जो हर प्रकार के इस्लामी संगठन युद्ध की स्थिति में आज तक करते आए हैं।
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के जिन क्षेत्रों को अपने कब्ज़े में ले लिया है, वहाँ वे अपने लड़ाकों से अफ़ग़ानी महिलाओं का निकाह करा कर उन्हें पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान ले जाना चाहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार तालिबानी कल्चरल कमिशन ने इस मामले में पत्र लिखकर आदेश साझा किया, जिसमें कहा गया है:
“सभी इमामों और मुल्लाओं को सूचित किया जाता है कि वे तालिबान द्वारा काबिज़ क्षेत्रों में 15 वर्ष की आयु से अधिक की लड़कियों एवं 45 वर्ष की आयु तक की सभी विधवाओं की एक सूची बनाएँ और तालिबान को प्रदान करें। इन लड़कियों और विधवाओं के तालिबानी लड़ाकों से निकाह कराए जाएँगे।”
यह पत्र उन सभी क्षेत्रों में भेजा गया जो तालिबान ने अपने कब्ज़े में ले लिए हैं। इनमें मुख्य तौर पर ईरान, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और तजिकिस्तान की सीमाओं से जुड़े क्षेत्र शामिल है।
बता दें कि 2001 में अमेरिकी सेना द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा किए जाने से पहले यहाँ तालिबान का शासन था। इस शासन के दौरान मुस्लिम बच्चियों को स्कूल जाने तक की अनुमति नहीं थी। मुस्लिम महिलाओं का किसी आदमी के बिना सड़कों पर अकेले निकलना भी प्रतिबंधित था।
तालिबान द्वारा बनाए गए इन इस्लामी कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होती थी। कई बार तो तालिबान द्वारा यह नियमावली न मानने वालों को शारीरिक प्रताड़ना भी दी जातीं थीं। अब अमेरिकी सेना द्वारा अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के बाद यहाँ पुनः इसी प्रकार का क्रूर इस्लामी शासन आने के अनुमान लगाया जा रहे हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के लोगों का कहना है कि वे बेहद डरे हुए हैं। उनका मानना है कि तालिबानी आतंकी पुनः उनकी लड़कियों को उठाकर ले जाएँगे और उनका गुलामों के रूप में उपयोग करेंगे। अफ़गानी महिलाओं ने कहा कि वे इतनी भयभीत हैं कि अब वे संगीत सुनने एवं बाज़ारों में निकलने से भी डरने लगी हैं।