अखिलेश को दलित नहीं, सिर्फ उनके वोट चाहिए: गठबंधन की अटकलों के बीच चंद्रशेखर ने लगाया अपमानित करने का आरोप

15 जनवरी, 2022 By: DoPolitics स्टाफ़
समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी के बीच चुनावी गठबंधन पर बड़ी घोषणा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली भीम आर्मी यानी आजाद समाज पार्टी (एएसपी) ने शुक्रवार (15 जनवरी, 2021) को समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन की अटकलों पर विराम लग गया है।

गठबंधन की घोषणा से पूर्व चंद्रशेखर ने समाजवादी पार्टी की राज्य इकाई के कार्यालय में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की। लेकिन मुलाकात के बाद नतीजे दुर्भाग्यपूर्ण रहे।

कयास लगाए जा रहे थे कि आजाद समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाकर, समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित मतदाता वर्ग को भुनाने की कोशिश करेगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच 403 विधायकों के चुनाव के लिए 7 चरणों में मतदान होगा। मतों की गिनती 10 मार्च को होगी।

अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे सपा का मकसद सिर्फ दलितों का वोट हासिल करना है।

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने मीडिया को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर निशाना साधा उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख को दलित विरोधी बताया और कहा,

“तमाम चर्चा के बाद आखिर में मुझे लगा कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में दलितों को नहीं चाहते, उन्हें सिर्फ दलित वोट बैंक चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को अपमानित किया, मैंने 1 महीने 3 दिन कोशिश की लेकिन गठबंधन नहीं हो सका।”

उल्लेखनीय है कि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी का पश्चिम यूपी के जिलों में दलित समुदाय के मतदाताओं पर प्रभाव है। चंद्रशेखर के अपने गढ़ सहारनपुर में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है।

हालाँकि, मीटिंग से पूर्व चंद्रशेखर अभी सपा के साथ सीटों के बँटवारे के समझौते के बारे में जानकारी देने से बच रहे हैं। चंद्रशेखर ने यह जरूर कहा कि भाजपा जैसी मायावी पार्टी को हराने के लिए एकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में सीटों की बात जल्द मिल बैठ कर तय कर ली जाएगी।

गठबंधन का था इरादा

अखिलेश से मुलाकात के बाद चंद्रशेखर ने कहा, “गठबंधन और सीट बँटवारे पर चर्चा हुई। आजाद समाज पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने का फैसला किया है। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाला सपा गठबंधन यूपी में अगली सरकार बनाएगा।”

आगामी यूपी चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी के सहयोगियों में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी), महान दल, अपना दल (कमेरावादी) तृणमूल कॉन्ग्रेस और जनवादी पार्टी (समाजवादी) शामिल हैं।

समाजवादी पार्टी और रालोद गठबंधन ने गुरुवार को उन 29 उम्मीदवारों की सूची जारी की है जो पश्चिमी यूपी में स्थित विधानसभा सीटों पर सपा और रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

मार्च, 2020 में लॉन्च होने के बाद, आजाद समाज पार्टी (ASP) ने राजेश रंजन उर्फ ​​पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जन अधिकार पार्टी (JAP) के साथ गठबंधन में अक्टूबर, 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था।

ASP और जेएपी छोटे राजनीतिक दलों के प्रगतिशील जनतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) में शामिल हो गए थे। चंद्रशेखर आजाद के महीनेभर के अभियान के बावजूद एएसपी बिहार में खाता भी नहीं खोल पाई थी। हालाँकि, यूपी में मई, 2020 में हुए जिला पंचायत वार्ड चुनाव में भीम आर्मी बिजनौर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों में विजयी वार्डों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही थी।



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