गाज़ियाबाद के लोनी में हुए मुस्लिम वृद्धि के साथ कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा मारपीट के मामले में ऑल्ट न्यूज़ के कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर के विरुद्ध फेक न्यूज़ फैलाने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस ने FIR दर्ज की थी। हाँलाकि पुलिस ने कहा है कि उनका मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी जैसा कोई इरादा नहीं था।
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद ज़िले के लोनी क्षेत्र से एक हिंसक घटना सामने आई थी। इसमें कुछ युवकों ने एक बूढ़े व्यक्ति से आपसी रंजिश के कारण मारपीट की थी तथा उसके दाढ़ी काट दी थी।
सोशल मीडिया पर कई वामपंथी कथित पत्रकारों द्वारा इस पोस्ट को फेक न्यूज़ बनाकर शेयर किया गया। उन्होंने लिखा कि ‘बूढ़े मुस्लिम’ को ‘हिंदुओं’ द्वारा ‘जय श्री राम’ का नारा न लगाने के कारण पीटा गया।
इस घटना के सांप्रदायिक रंग लेने से पहले ही गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा इसका खुलासा किया गया। इसके बाद, इन सभी पत्रकारों को ट्विटर पर रोते-गिड़गिड़ाते भी देखा गया। इसी मामले में पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ के तथाकथित फैक्ट चेक कर मोहम्मद जुबेर समेत कई लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की थी।
शिकायत के बाद मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा अग्रिम ज़मानत के लिए याचिका डाली गई थी, जिसके बाद पुलिस ने अपने एक नोटिस में यह सूचित किया कि उनका ज़ुबैर को गिरफ्तार करने का कोई इरादा नहीं था क्योंकि FIR में लगाई गई धाराएँ 7 वर्षों से कम की सज़ा की थीं।
बता दें कि गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा मामले की पड़ताल के बाद से ही मोहम्मद ज़ुबैर ट्विटर से गायब है। उसके द्वारा घटना के बाद से अब तक एक भी ट्वीट नहीं किया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ज़ुबैर को गिरफ्तार न किए जाने की बात को लेकर कई लोग ट्विटर पर खफा दिखे। सुरक्षा मामलों के जानकार अभिजीत अय्यर मित्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करते हुए यह समाचार साझा किया।
एक व्यक्ति द्वारा अपना यह विचार भी रखा गया कि इस निर्णय के लिए अवश्य ही योगी आदित्यनाथ पर केंद्र से दबाव डाला गया होगा।
लोगों ने पुलिस की आलोचना करते हुए यह विचार भी रखे कि जब उन्हें गिरफ्तारी करनी ही नहीं थी तो FIR दर्ज ही क्यों की गई?
लोगों द्वारा ज़ुबैर की ट्विटर पर ग़ैर-मौजूदगी को लेकर भी विचार रखे गए, जिसमें वे यह कयास लगा रहे हैं कि कहीं फैक्ट चेकर ज़ुबैर गाज़ीपुर बॉर्डर पर ‘अन्नदाताओं’ के साथ बुर्के में न छुपा हुआ हो।