UPSC द्वारा कराए गए CAPF की परीक्षा में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में हुई विधानसभा चुनावों के बाद की हिंसा (West Bengal Post Poll Violence) को लेकर सवाल पूछा गया। इस मामले ने सोशल मीडिया पर खासा तूल पकड़ा हुआ है। इस प्रश्न पत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन पर भी सवाल पूछा गया है।
2 मई, 2021 को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद से ही राज्य में भीषण हिंसा देखने को मिली थी। कई भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं संघ के स्वयंसेवकों को भी तृणमूल के गुंडों ने मार डाला था।
राज्य के विभिन्न हिस्सों से कई भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत एवं महिलाओं के बलात्कार तक के मामले सामने आए थे। हिंसा की अधिकांश घटनाओं में तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं गुंडों का ही नाम सामने आए हैं।
इस विषय में केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी मामले को लेकर एक ट्वीट तक नहीं किया। कई वामपंथी गिरोह एवं मीडिया समूह इस पूरी हिंसा को झूठा भी बता रहे थे और दावा कर रहे थे कि राज्य में कोई हिंसा हुई ही नहीं। लेकिन अब यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन यूपीएससी द्वारा कराए जाने वाली एक परीक्षा में इसी विषय से संबंधित एक सवाल को लेकर चर्चा हो रही है।
यह यूपीएससी द्वारा कराई गई सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स (सीएपीसी) 2021 की एक परीक्षा थी, जो वर्णनात्मक प्रारूप से कराई जा रही थी। इसमें प्रत्याशियों को 200 शब्दों में एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया।
इस सवाल के लिए दो विषय दिए गए थे जिनमें से एक था- दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडरों का संकट एवं दूसरा था चुनावों के दौरान एवं उसके बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा।
पेपर में इन सवालों के जिक्र से टीएमसी बेहद नाराज नजर आ रही है। टीएमसी नेताओं ने इसे ‘गंभीर विषय’ बताते हुए यूपीएससी पर ‘भाजपा के अंग’ की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
टीएमसी के लोकसभा नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने इस बारे में मीडिया से कहा, “यह एक राजनीतिक दल का सवाल है। यह यूपीएससी का सवाल कैसे हो सकता है? सबसे खतरनाक पश्चिम बंगाल में ‘चुनावी हिंसा’ है’। चुनाव आयोग बंगाल में है। उसने 8 चरणों में चुनाव कराया। कोई आरोप नहीं लगाया गया। एक या दो बूथों को छोड़कर, कोई उपचुनाव नहीं हुआ। “
बता दें कि बंगाल चुनाव के समय तृणमूल कॉन्ग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र के सुरक्षाबलों पर महिला वोटरों को डराने धमकाने और वोट देने से रोकने का आरोप लगाया था। ममता ने यह भी कहा:
“अगर सीएपीएफ़ गड़बड़ी करता है तो मैं महिलाओं से यह कहती हूँ कि आप एक समूह बनाकर उन्हें घेरकर रोकें, जबकि दूसरा समूह वोट डालने के लिए जाए। अपना वोट बर्बाद न करें। अगर सभी लोग सुरक्षाबलों से भिड़ने में समय बर्बाद करेंगे तो उन्हें (भाजपा को) खुशी होगी कि आपने वोट नहीं डाला। यही भाजपा की योजना है।”
इस पर सीआरपीएफ प्रमुख कुलदीप सिंह ने कहा था कि वे किसी राजनीतिक दलों के विषय में नहीं जानते और सुरक्षा बल केवल चुनाव आयोग के निर्देशों पर ही चलते हैं।
बता दें कि ममता बनर्जी ने भाजपा कार्यकर्ताओं और संघ के स्वयंसेवकों को चुनावों के दौरान धमकी भरे रूप में यह भी कहा था कि केंद्र के सुरक्षा बल कभी तो वापस जाएँगे ही और तभी तृणमूल के कार्यकर्ता अपना बदला लेंगे। चुनावों के परिणाम के बाद यही देखने को भी मिला भी।