पाकिस्तान से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों ने COVID-19 संकट के दौरान भारत के नाम पर फ़ंड इकट्ठा करने के बाद बड़ा घोटाला किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित पाकिस्तान से जुड़े इन चैरिटी संगठनों ने COVID-19 संकट के दौरान भारत की मदद करने के नाम पर क्राउड फ़ंडिंग के जरिए धन इकट्ठा करना शुरू किया था। खुलासे में यह जानकारी सामने आई है कि इस फंड का इस्तेमाल किसी और ही गतिविधियों में किया जा रहा है।
कोविड-19 की दूसरी लहर की सबसे बड़ी मार झेल रहे भारत के लिए संकट के समय दुनिया भर से मदद आई थी। इसमें कोई शक नहीं है कि यह मदद भारत की सद्भावना पूर्ण छवि विदेशी मुल्कों से अच्छी मित्रता के चलते मानवता के आधार पर आई।
भारत द्वारा सैकड़ों वर्षों में कड़ी मेहनत से अर्जित इस सद्भावना का फ़ायदा उठाकर कुछ पाकिस्तानी गैर-सरकारी संगठन आपदा के समय भारत के नाम पर दुनियाभर के लोगों से धन जुटाने में कामयाब रहे। इन पाकिस्तानी संगठनों ने कोविड-19 के समय का उपयोग दान के नाम पर अपनी झोलियाँ भरने में किया।
इनमें से कई संगठन भारत में स्थित थे, या फिर भारत में इनका एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था। हालाँकि, कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इसमें कूद गए। ऐसे संगठन, जिनकी भारत में कोई मौजूदगी ही नहीं है, ना ही इनका कोई कार्यालय, ना कोई शाखा और ना ही इनका कोई प्रतिनिधि।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे में यह देखना दिलचस्प था कि वे आखिर अपनी ‘चैरिटी योजनाओं’ को कैसे कार्यान्वित करेंगे और फिर उनके तरीकों पर नजर रखी गई।
‘डिसइन्फ़ो लैब’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन पाकिस्तानी संगठनों ने लाखों डॉलर इकट्ठा करने के बाद भारत को मदद के नाम पर या तो एक छोटी सी रकम भेजी या फिर यह भी संभव है कि इसका कुछ भी हिस्सा भारत को नहीं भेजा गया। एक विस्तृत रिपोर्ट में, डिसइन्फ़ो लैब ने ‘कोविड -19 घोटाला 2021’ का खुलासा किया है।
घोटाले का खुलासा करते हुए ‘डिसइन्फ़ो लैब’ ने इसे ‘मानव इतिहास में सबसे बुरे घोटालों में से एक’ बताया है, जिसमें ‘हेल्पिंग इंडिया’ के नाम पर लाखों डॉलर की हेरफेर की गई। डिसइन्फ़ो लैब ने पाकिस्तान से जुड़े ऐसे कई चैरिटी संगठनों का पर्दाफाश किया है।
ऐसा ही एक संगठन ‘इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका’ (IMANA) है, जिसने भारत के लिए काम करने का दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, IMANA के वर्तमान अध्यक्ष डॉ इस्माइल मेहर हैं, जो पाकिस्तान मूल के डॉक्टर हैं और वर्तमान में अमेरिका में रहते हैं।
डॉ इस्माइल मेहर ‘हेल्प इंडिया ब्रीद’ (Help India Breathe) अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। IMANA ने 27 अप्रैल, 2021 को इंस्टाग्राम पर #HelpIndiaBreathe अभियान शुरू करते हुए भारत की मदद के नाम पर 1.8 करोड़ रुपए जुटाने का शुरुआती लक्ष्य रखा था।
जैसे-जैसे लक्ष्य के मुताबिक पैसा आता गया, IMANA भारत की कथित मदद करने वाले फ़ंड संग्रह के लक्ष्य को बढ़ाता गया और इसे बढ़ा कर 5.62 करोड़ रुपए कर दिया गया।
5.62 करोड़ रुपए के लक्ष्य के साथ अभियान शुरू करने वाला पाकिस्तानी संगठन IMANA भारत की मदद के नाम पर 8.7 करोड़ रुपए का फंड जुटाने में कामयाब रहा। जब इंस्टाग्राम पर यह अभियान चल रहा था, उसी बीच डॉ इस्माइल मेहर नें क्राउडफ़ंडिंग प्लेटफ़ॉर्म ‘जस्ट गिविंग’ पर भारत की मदद के लिए एक और अभियान शुरू किया।
IMANA इस प्लेटफॉर्म से भी 2,98,919 अमेरिकी डॉलर यानि लगभग 2 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रहा। IMANA ने प्लेटफॉर्म पर लोगों को अन्य दान विकल्प भी प्रदान किए जैसे कि वेबसाइट पर या बैंक अकाउंट में प्रत्यक्ष दान आदि।
रिपोर्ट के अनुसार, IMANA के अध्यक्ष डॉ इस्माईल मेहर ने 7 मई को दावा किया कि 100K अमेरिकी डॉलर की मदद के लक्ष्य तक पहुँचने के बाद संगठन को 100K अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे की गति से दान मिलना शुरू हो गया।
बताया जा रहा है कि इसके तहत भारत की मदद के नाम जमा कुल राशि 4.12 मिलियन से 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 30 करोड़ रुपए से 158 करोड़ रुपए के बीच है।
IMANA का ‘डोनेट इंडिया’ पेज (चित्र साभार: डिसइन्फ़ो लैब)
डिसइन्फो लैब ने कहा, “IMANA के पास एकत्र किए गए फंड के बारे में लगभग शून्य पारदर्शिता है, इसे प्राप्त होने वाली वास्तविक राशि का पता लगाने का कोई तरीका नहीं है।”
भारत में मदद माँगते समय, उन्होंने एक ऐसे मानचित्र का इस्तेमाल किया, जो भारतीय दर्शकों को खुश कर सकता था, जबकि उनकी अपनी वेबसाइट पर पाकिस्तान सरकार द्वारा समर्थित भारत का मानचित्र मौजूद है। अगर IMANA को तटस्थ रहना होता, तो वह कम से कम कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नक्शे को ही वेबसाइट पर रख सकता था।
इस संगठन ने भारतीयों की भावना से खेलने का प्रयास किया
धन जुटाने के बाद डॉक्टर इस्माइल मेहर ने लोगों को यह जानकारी दी कि उन्होंने शिकागो-दिल्ली मार्ग के लिए मुफ्त शिपमेंट के लिए एयर इंडिया के साथ करार किया है और और मदद- सामग्री भारत भेज दी गई है, लेकिन भारत की ओर से इस संगठन द्वारा भेजी गई ऐसी किसी मदद सामग्री के आगमन और वितरण पर कोई अपडेट नहीं दिया गया।
IMANA ने ये दावा भी किया कि उन्होंने भारत में कोविड संकट के दौरान मदद के समन्वय के लिए DRDO और कृषि मंत्रालय के साथ करार किया है, लेकिन किसी भी ओपन-सोर्स से इनमें पाकिस्तान से जुड़े इस गैर सरकारी संगठन के दावों को सत्यापित नहीं किया जा सका।
संयुक्त राज्य के बाहर उनके वित्तीय अनुदान और सहायता में बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों का उल्लेख है, लेकिन भारत का नहीं। उनका वित्तीय रिकॉर्ड इस बात की भी पुष्टि करता है कि 2016-19 के बीच भारत में एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया था जबकि वो इस अवधि में ऐसा दावा करते आए हैं।
IMANA अल-मुस्तफा वेलफेयर ट्रस्ट (AMT) के माध्यम से पाकिस्तान को ‘सहायता’ प्रदान करता है। रिपोर्ट में IMANA केयर 2020 वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि AMT पाकिस्तान की मिलबस ‘सैन्य राजधानी’ का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल पाक सेना के निजी फायदे के लिए किया जाता है। पाक सेना मदद के नाम पर आने वाले इस धन का उपयोग पड़ोसी देशों में आतंकवाद के प्रचार पर करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन संगठनों के कट्टरपंथी इस्लामी और आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और पाकिस्तानी सेना के साथ मिलीभगत है।
डिसइन्फो लैब की रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि जैसे ही भारत में कोविड संकट कम होना शुरू हुआ, IMANA ने फिलिस्तीन में संकट में लोगों की मदद करने के लिए नया कैम्पेन शुरू करने का ऐलान किया और अब वो गाज़ा के नाम पर फ़ंड जुटाने लगे।
IMANA का इंस्टाग्राम अकाउंट
संदिग्ध रिकॉर्ड वाले कई पाकिस्तानी संगठनों ने एफसीआरए की मंजूरी के बिना अभियान चला कर भारत की मदद के नाम पर धन जुटाया। कहा जा रहा है कि लगभग 23 ऐसे संगठन थे, जो भारत की मदद के नाम पर धन उगाहने वाली गतिविधियों के द्वारा 1.2 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक धन जुटाने में सफल रहे।
एफएटीएफ़ ने पहले ही इस चिंता को उठाया है कि कोविड के नाम पर बहुत अधिक धन आतंकी फंडिंग की ओर जाने की संभावना है। संगठनों के एक समूह के नेटवर्क के पैमाने को देखते हुए, कुल आतंकी फंडिंग के पैमाने की कल्पना ही की जा सकती है।
‘डिसइन्फो लैब’ ने सुझाव दिया कि सरकारों को अमेरिका से लेकर भारत तक टेरर-फ़ंडिंग से पैसा बनाने वाली मशीनरी पर ध्यान देना चाहिए और इन सहायता समूहों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़ा सुरक्षा तंत्र बनाया जाना चाहिए।