उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने और वर्चुअल रैली करने जैसे निर्देश दिए गए थे परन्तु राज्य में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विपक्षी दल, यानी समाजवादी पार्टी इन नियमों को गंभीरता से नहीं ले रही है और इस कारण उन्हें हाल ही में खामियाज़ा भी भुगतना पड़ा।
अगले माह होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जहाँ एक ओर सभी पार्टियाँ प्रचार-प्रसार और राज्य में सत्ता स्थापित करने के सपने देखने में व्यस्त हैं, वहीं चुनाव आयोग ने हाल ही में कोरोना महामारी की तीसरी लहर के चलते सभी राजनीतिक दलों को सचेत किया था।
आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा करते समय चुनाव प्रचार में सोशल डिस्टेंसिंग बरतने और वर्चुअल रैलियाँ करने जैसे निर्देश जारी किए थे।
हाल ही में समाजवादी पार्टी के लखनऊ कार्यालय में चुनाव आयोग के सभी नियमों और कोरोना प्रोटोकॉल्स की धज्जियाँ उड़ती दिखीं। दरअसल सपा कार्यालय में होने वाली एक रैली को असल में वर्चुअल रैली का नामा दिया गया था, परंतु यहाँ इतनी भारी मात्रा में सपा कार्यकर्ता पहुँच गए कि न तो किसी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया न ही अन्य कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन हुआ।
राज्य में आचार संहिता लागू हो चुकी है और इस तरह की लापरवाही देखते को हुए समाजवादी पार्टी के विरुद्ध एफआईआर के साथ साथ उनके करीब 2,500 कार्यकर्ताओं के विरुद्ध भी शिकायत दर्ज हुई है। इस लापरवाही की गाज न केवल समाजवादी पार्टी पर गिरी बल्कि पुलिस प्रशासन भी इसकी चपेट में आ गया।
चुनाव आयोग ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए क्षेत्र के थाना प्रभारी गौतमपल्ली दिनेश सिंह विष्ट को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है। आयोग द्वारा निर्देश दिए जाने पर लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने गौतमपल्ली को सस्पेंड किया।
इसके साथ ही आयोग ने सहायक पुलिस आयुक्त अखिलेश सिंह और अपर नगर मजिस्ट्रेट गोविंद मौर्य से मामले को लेकर शनिवार तक व्याख्या माँगी है।
इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता खासे खफा दिखे और हाल ही में भाजपा छोड़कर सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने का प्रयास किया। मौर्य ने कहा कि सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी के विरुद्ध मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
उन्होंने हाल ही में हुए भाजपा के एक आयोजन पर निशाना साधते हुए कहा कि गोरखपुर में हज़ारों लोग एक साथ खिचड़ी खा रहे थे और मुख्यमंत्री स्वयं आचार संहिता तोड़ रहे हैं, पहले उन पर मुकदमा हो।