सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक फोटो वायरल किया जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों को तीन भागों में बाँटा दिखाया गया है। इसमें यूपी के तीन भागों में टूटने एवं कुछ ज़िलों के दिल्ली-एनसीआर में शामिल होने की बात कही जा रही है।
2022 विधानसभा चुनावों के कारण उत्तर प्रदेश में अभी से सियासी गर्मा-गर्मी का माहौल प्रारंभ हो गया है। उत्तर प्रदेश की राज्य स्तर की पार्टियों के साथ-साथ दूसरे राज्यों की पार्टियाँ भी इन चुनावों में हाथ सेंकने को हर प्रकार की मेहनत-मशक्कत एवं चालें चल रही हैं।
कहते हैं कि उत्तर प्रदेश और बिहार देश की राजनीति का स्वरूप तय करता है, तो ऐसे में सभी छोटी बड़ी पार्टियों की उत्तर प्रदेश चुनाव पर भारी नज़र रहती है।
इस बार विभिन्न पार्टियों द्वारा अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल कर उत्तर प्रदेश की जनता का मन मोहने का प्रयास किया जा रहा है। इसी विषय में कुछ समय से इंटरनेट, सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल किया जा रहा है, जिसका यह दावा है कि विधानसभा चुनावों से पहले सरकार की उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बाँटने की योजना है।
इसमें उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल नमक तीन अलग अलग राज्य बनाए गए हैं। इनकी राजधानी क्रमशः लखनऊ, प्रयागराज और गोरखपुर को दिखाया गया है। इन तीनों में यूपी के 60 जिले बाँटे गए हैं तथा बचे ज़िलों के लिए यह दावा बताया जा रहा है कि उन्हें हरियाणा, उत्तराखंड तथा दिल्ली-एनसीआर में शामिल किया जाएगा।
इसमें यहाँ तक कहा गया है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बँटवारे की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। वायरल संदेश के अनुसार, पूर्वांचल में 23 जिले, बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 17 और 20 जिले होंगे।
बता दें कि इंटरनेट पर घूम रही है यह तस्वीर संपूर्ण रुप से नकली (फेक) है। ना तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न ही केंद्र सरकार द्वारा अब तक इस प्रकार का कोई नोटिस या निर्णय जारी किया गया है। इस प्रकार के किसी नोटिस को किसी बड़े मीडिया संस्था द्वारा भी सामने नहीं लाया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी उठे ऐसे दावों पर अपना पक्ष साफ़ कर चुके हैं। वे बता चुके हैं कि उनकी ऐसी कोई मंशा नहीं है और वे तोड़ने में नहीं जोड़ने में भरोसा करते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग ने शनिवार को स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक अफवाह है और राज्य को विभाजित करने के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
यूपी के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा था, “राज्य के बँटवारे की खबर फर्जी है और इसका कोई आधार नहीं है।”
असल में यह उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में अपनाया जाने वाला पुराना चुनावी हथकंडा है। चुनाव पास आते ही कई छोटे स्तर के नेता जनता के बीच अपनी पैठ बढ़ाने को इस प्रकार के प्रयास करते हैं। अलग-अलग पार्टियों द्वारा राज्य को तोड़ने के नाम पर पहले भी गुमराह किया गया है।
हालाँकि, इससे पहले वर्ष 2011 में, तत्कालीन बसपा सरकार ने राज्य को चार भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव पारित किया था – पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश। मायावती उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।