बीजेपी छोड़ते ही नेवला बने स्वामी प्रसाद मौर्य, कहा- RSS, BJP साँप और नाग हैं, इन्हें खत्म करूँगा

13 जनवरी, 2022 By: DoPolitics स्टाफ़
स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद को नेवला बताते हुए BJP और RSS पर साधा निशाना

मंगलवार को भाजपा मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरएसएस और भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्हें सांप और नाग बताया है। साथ ही, खुद को नेवला बता कर साँप और नाग, दोनों को खत्म करने की बात भी कही।

उत्तर प्रदेश में चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक गहमागहमी और दल-बदल का दौर शुरू हो गया है। कई दलों के विधायक और नेता टिकट ना मिलने या कटने की आशंका के चलते अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं।

भाजपा सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी मंगलवार को योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछड़ों दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए, बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया था।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनका यह फैसला चौंकाने वाला था और भाजपा की तरफ से उन्हें मनाए जाने के प्रयास करने की अटकलें भी लगाई जा रही थी। इस बीच मौर्य ने एक विवादित बयान देकर भाजपा में उनकी वापसी की अटकलों पर विराम लगा दिया है।

एक ट्वीट करते हुए मौर्य ने भाजपा और आरएसएस दोनों पर निशाना साधा है। मौर्य ने ट्वीट में लिखा,

“नाग रूपी आरएसएस एवं साँप रूपी भाजपा को स्वामी रूपी नेवला यूपी से खत्म कर के ही दम लेगा।”

भाजपा की सांसद है बेटी

हालाँकि एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि उनकी खुद की बेटी डॉ संघमित्रा मौर्य अभी भी भाजपा में हैं और बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा के संसद सदस्य भी हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य निश्चित रूप से किस पार्टी में जाएँगे इसको लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। हालाँकि उनका समाजवादी पार्टी में जाना तय माना जा रहा है।

मौर्य ने 15 जनवरी को इस पर फैसला लेने की बात कही है जबकि अखिलेश यादव से मुलाकात की उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर स्वयं अखिलेश यादव ने ट्वीट की थी। अखिलेश यादव संग आई उनकी तस्वीर तो काफी कुछ स्पष्ट कर देती है, लेकिन राजनीति में पता लगाना बड़ा मुश्किल होता है कि ऊँट आखिरी वक्त में किस करवट बैठेगा।

विवादित बयानों के लिए कुख्यात हैं मौर्य

यूपी सरकार के बड़े मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों के लिए भी जाने जाते है। साल 2027 में मौर्य ने तीन तलाक पर विवादित देते हुए कहा था कि तीन तलाक देने वाले मुस्लिम सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिये बीवियाँ बदलते हैं। समय समय पर दल बदलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर काफी विवाद भी हुआ था।

मौर्य ने बस्ती में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक का कोई आधार नहीं है। तीन बार तलाक बोलकर पति अपनी ही पत्नी और बच्चों को सड़क पर भीख माँगने के लिये छोड़ देते हैं, इसे आप अच्छा कहेंगे? मुस्लिम पुरुष ऐसा सिर्फ अपनी हवश मिटाने के लिए करते हैं।

बीजेपी ने नहीं साधा मौर्य से संपर्क

अटकलें लगाई जा रही थी कि भाजपा नेतृत्व उन्हें मनाने की कोशिश कर रहा है। चर्चा थी कि बीजेपी ने मौर्य को मनाने की जिम्मेदार दो नेताओ केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को दी गई है।

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी ट्वीट कर कहा था, “स्वामी प्रसाद मौर्य ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूँ। उनसे अपील है कि बैठकर बात करें। जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।”

हालाँकि ताजा सूत्र बताते है कि भाजपा के किसी बड़े नेता ने या केंद्रीय नेतृत्व ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ संपर्क नहीं किया। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी को स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने की भनक पहले से थी इसलिए उनके इस्तीफे के बाद भी कोई संपर्क नहीं साधा गया है।

भाजपा छोड़ते ही जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट

भाजपा के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर ‘सिर मुड़ाते ही ओले’ पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई। इस्तीफे के बाद उठे सियासी तूफ़ान के बीच ही सुल्तानपुर जिले से उनके एक गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया। यह वारंट 7 साल पुराने मामले में जारी हुआ है।

दरअसल साल 2014 में बसपा महासचिव रहने के दौरान लखनऊ की एक जनसभा में स्वामी प्रसाद मौर्य ने देवी देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर जमकर हंगामा हुआ था। इसको लेकर सुल्तानपुर जिले के परिवादी अनिल कुमार तिवारी ने अदालत में उनके खिलाफ परिवाद दायर किया गया था।

अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि 2014 में मैंने एक परिवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दाखिल किया था। इसमें कोर्ट ने इनको 195ए में तलब किया था। स्वामी प्रसाद ने जिला न्यायालय में रिवीजन किया था, जिला न्यायालय द्वारा इनका रिवीजन निरस्त कर दिया गया था।

अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि रिवीजन निरस्त होने के बाद गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया था। इस एनबीडब्ल्यू के खिलाफ स्वामी प्रसाद हाईकोर्ट चले गए। हाई कोर्ट में स्टे मिल गया और तब से यह फाइल सुल्तानपुर न्यायालय में विचाराधीन चल रही थी।

12 जनवरी को न्यायालय में उन्हें तलब होने का आदेश दिया गया था, मगर 12 जनवरी को वह उपस्थित नहीं हुए थे। इस पर अपर मुख्य दंडाधिकारी एमपी-एमएलए ने आरोपित पूर्व केन्द्रीय श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पूर्ववत जारी गिरफ्तारी वारंट को जारी करने का आदेश दिया।



सहयोग करें
वामपंथी मीडिया तगड़ी फ़ंडिंग के बल पर झूठी खबरें और नैरेटिव फैलाता रहता है। इस प्रपंच और सतत चल रहे प्रॉपगैंडा का जवाब उसी भाषा और शैली में देने के लिए हमें आपके आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। आप निम्नलिखित लिंक्स के माध्यम से हमें समर्थन दे सकते हैं: