हरिद्वार हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को 10 दिन के भीतर इस मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 10 दिन बाद सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले पहले से लंबित हैं।
इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील और कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने 23 जनवरी को अलीगढ़ में आयोजित होने वाली धर्म संसद पर रोक लगाने की माँग की। सिब्बल ने कहा कि इस तरह की सभाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोडल अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए पहले आदेश पारित किए गए थे, लेकिन किसी नोडल अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है और अगली धर्म संसदों की घोषणा कर दी गई है। उन्होंने कहा, “अगली धर्म संसद से पहले कुछ करने की जरूरत है।” इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए राज्य सरकार को ज्ञापन दें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता को भविष्य में धर्म संसद आयोजित करने के खिलाफ स्थानीय प्राधिकरण को प्रतिनिधित्व देने की अनुमति दी थी। कॉन्ग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
बता दें कि 17 दिसंबर से 19 दिसंबर तक उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय ‘धर्म संसद’ या धार्मिक सभा के दौरान अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषण दिए गए थे। कई हिंदू धर्मगुरुओं, जिन्होंने सभा को संबोधित किया था जिन्होंने कथित रूप से हिन्दू समुदाय से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया था।
वरिष्ठ वकील और कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने याचिका दायर करते हुए कहा था, “हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद में जो हुआ, उस संबंध में मैंने यह जनहित याचिका दाखिल की है। हम मुश्किल दौर में जी रहे हैं, जहाँ देश के नारे ‘सत्यमेव जयते’ से बदलकर ‘सशस्त्रमेव जयते’ हो गए हैं।”
धर्म संसद में कथित रूप से एक विशेष धर्म संप्रदाय के खिलाफ हेट स्पीच दिए जाने का मामला सामने आया था। इस अवसर पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी भी मौजूद थे और उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए अपने विचार सामने रखे थे। मामले में उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ केस भी दर्ज किया था।
पुलिस ने जानकारी दी थी कि सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
कुछ समय पूर्व ही गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की अगुवाई में वरिष्ठ वकील और पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिज़वी ने इस्लाम पंथ त्याग कर हिंदू धर्म में घरवापसी की थी। इस अवसर पर उन्होंने डू-पॉलिटिक्स से विशेष बातचीत में बताया था कि वे कट्टरपंथ के कारण इस्लाम त्याग रहे हैं।