14 दिन की न्यायिक हिरासत में यति नरसिंहानंद: जानिए पुलिस ने किन धाराओं के तहत की कार्रवाई

17 जनवरी, 2022 By: DoPolitics स्टाफ़
महंत यति नरसिंहानंद गिरि को पुलिस ने किया गिरफ्तार

पुलिस ने रविवार (16 जनवरी, 2022) को जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी को 4 जनवरी को उनके द्वारा की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद कोर्ट ने यति नरसिंहानंद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

जब उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया गया, तो पिछले माह ही उत्तराखंड स्थित हरिद्वार में हुई धर्म संसद मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का भी उल्लेख किया गया। इससे पहले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।

पूरे मामले में यति नरसिंहानंद गिरी पर हरिद्वार कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है। यति नरसिंहानंद पर आईपीसी की धारा 295A (धार्मिक भावनाएँ आहत करना) और धारा 509 (स्त्री का अनादर करते हुए कहे गए शब्द) के आधार पर शिकायत दर्ज हुई है।

मामले की जाँच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया, लेकिन इस मामले में पहली गिरफ्तारी – जितेंद्र त्यागी उर्फ़ वसीम रिजवी और यति नरसिंहानंद गिरी की, 10 जनवरी, 2022 को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद ही हुई है।

एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था। जिसमें पुलिस की कथित निष्क्रियता, हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में, हरिद्वार कार्यक्रम में और अलग से दिए गए कथित घृणास्पद भाषणों की जाँच की माँग की गई थी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में भी कथित तौर पर ‘घृणित भाषणों’ को लेकर कार्रवाई की माँग की गई थी। नागरिक संगठनों (सिविल सोसायटी) और कई अन्य लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना एवं अन्य लोगों को इस मामले में पत्र भी लिखा।

महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ की गई शिकायत में यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया पर यति नरसिंहानंद द्वारा दूसरे धर्म के महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियाँ एवं महिलाओं के प्रति अमर्यादित टिप्पणियाँ कहीं गई हैं, जिससे महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुँची है।


गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के महंत गत 17-19 दिसंबर की सभा के मुख्य आयोजक थे। आरोप है कि इस धर्म संसद में कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए। जिसके बाद शनिवार देर शाम हरिद्वार में गिरफ्तार किया गया।

उल्लेखनीय है कि यति नरसिंहानंद गिरी, जो कि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं, हरिद्वार में वसीम रिजवी उर्फ ​​जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी के विरोध में दो दिन से अनशन पर थे और सत्याग्रह कर रहे थे।

मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए अंग्रेजी समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में हरिद्वार सिटी सर्कल ऑफिसर (सीओ) शेखर सुयाल ने कहा,

“यति नरसिंहानंद के खिलाफ हाल ही में की गई शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी कि उन्होंने एक विशेष समुदाय की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद 4 जनवरी को मीडिया से बातचीत के दौरान ये अपमानजनक टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं। शनिवार को हुई गिरफ्तारी मुख्य रूप से उस एफआईआर के सिलसिले में थी। हालाँकि, जब हमने उन्हें रविवार को अदालत में पेश किया, तो हमने आपत्तिजनक टिप्पणी मामले के साथ-साथ हरिद्वार धर्म संसद मामले में भी उनकी गिरफ्तारी दिखाई।”

सीओ सुयाल ने कहा कि शनिवार को एक पत्रकार की शिकायत पर नरसिंहानंद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने कहा, “पत्रकार ने नरसिंहानंद से कुछ कठोर सवाल पूछे, जिसके बाद कहासुनी हुई और पत्रकार के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई।”

हरिद्वार कोतवाली थाने के एसएचओ राकेंद्र कथैट ने कहा कि रुचिका की शिकायत पर धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के इरादे से) और 509 (शब्द इशारा या एक महिला की लज्जा का अपमान करने का इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

बता दें कि हरिद्वार में 17-19 दिसंबर की धर्म संसद को लेकर इससे पहले दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पहली प्राथमिकी 23 दिसंबर को हरिद्वार कोतवाली पुलिस स्टेशन में गुलबहार खान की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव के लिए हानिकारक कार्य) और 295 ए के तहत दर्ज की गई थी।

इस प्राथमिकी में 5 लोगों के नाम थे, जिनमें नरसिंहानंद, जितेंद्र त्यागी और धर्मगुरु धर्मदास महाराज, माँ अन्नपूर्णा भारती और सागर सिंधुराज महाराज के नाम शामिल थे। दूसरी प्राथमिकी 2 जनवरी, 2022 को नदीम अली की शिकायत पर दर्ज की गई।

यह प्राथमिकी, धारा 153ए और 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना) के तहत दर्ज की गई। FIR में हरिद्वार कार्यक्रम और उसके बाद के दिनों में कथित घृणास्पद भाषणों का उल्लेख किया गया। इसमें जितेन्द्र त्यागी और अन्य लोगों का नाम शामिल था।



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