कोरोना महामारी के दौरान ‘सिंगल सोर्स’ बनकर सामने आए तबलीगी जमात समुदाय देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। इसके बाद से ही इन्हें लेकर कई ऐसे बड़े खुलासे सामने आए जिससे देश ही नहीं विश्व भी अवगत नहीं था। हाल ही में विश्व हिंदू परिषद ने इस समुदाय पर संज्ञान लेते हुए भारत में तबलीगी जमात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की माँग की है।
विश्व हिंदू परिषद ने बृहस्पतिवार (16 दिसंबर,2021) को एक प्रेस रिलीज़ जारी की। इसमें परिषद ने कहा है कि तबलीगी जमात केवल भारत ही नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व के लिए आज गंभीर संकट बना हुआ है। विश्व हिन्दू परिषद ने इसे इस्लामी कट्टरपंथ की फैक्ट्री और वैश्विक आतंकवाद का पोषक भी बताया।
इसके साथ ही परिषद ने इस समुदाय पर भारत में पूर्ण प्रतिबंध लगाने की माँग सामने रखी है। बता दें कि कुछ समय पूर्व सऊदी अरब ने भी तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाया था। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने सऊदी सरकार के इस निर्णय की सराहना की है और जमात पर लगे प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा:
“लोगों का जीवन संकट में डालने वाले तब्लीगी जमात के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर इनके बैंक खातों, कार्यालयों व कार्यकलापों पर भारत समेत सम्पूर्ण विश्व समुदाय द्वारा प्रतिबंध लगाया जाए। यह इस्लामिक कट्टरवादी संगठन रूस समेत विश्व के अनेक देशों में पहले से ही प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, सऊदी सरकार के इस निर्णय के स्वागत की जगह कुछ भारतीय मुस्लिम संस्थाओं द्वारा विरोध किए जाने से आतंक-पोषण में उनकी भूमिका उन्होंने स्वयं स्पष्ट कर दी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि असल में इस जमात का असली जन्मदाता दारुल उलूम देवबंद ही है। बता दें कि देवबंद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में आता है।
इस जमात की शुरुआत वर्ष 1926 में निजामुद्दीन से हुई थी। इसके बाद हरियाणा के मेवात में पंथ परिवर्तन कराने से इसे ताकत मिली और आज इसके लोग विश्व के 100 से अधिक देशों में फैल चुके हैं। विहिप ने प्रेस रिलीज़ में आगे लिखा:
“देश की कई मस्जिदों व मदरसों व जिहादियों की बस्तियों में बरामद गोले-बारूद व पकड़े गए आतंकी कहीं न कहीं इसी मानसिकता के थे। कौन नहीं जानता कि निजामुद्दीन मुख्यालय से प्रशिक्षित होकर लाखों तब्लीगी वहाबी विचार के साथ संपूर्ण विश्व में मरकज, इज्तेमा, मस्जिदों व मदरसों में तकरीरों के माध्यम से कट्टरता व आतंक फैला रहे हैं। विश्व के अधिकांश आतंकी संगठनों को प्रारंभ करने वाले भी तब्लीग से जुड़े रहे हैं।”
विहिप ने अमेरिकी ट्रेड सेंटर पर हमले, गोधरा में 59 हिंदुओं को जिंदा जलाने और स्वामी श्रद्धानंद की नृशंस हत्या को भी मरकज की विचारधारा से संबंधित ही बताया।
इसके साथ ही विहिप ने मुख्य तौर पर 4 माँग सामने रखी हैं: पहली कि भारत में तबलीगियों, तबलीगी जमात और इज्तिमा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। दूसरी कि निजामुद्दीन मरकज के भवन और इससे जुड़े बैंक खातों को अविलंब सील किया जाए।
तीसरी माँग यह है कि इनके आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें बंद किया जाए और चौथी कि प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से खाद-पानी देने वाली दारुल उलूम देवबंद के साथ-साथ पीएफआई जैसी संस्थाओं पर भी कड़ाई बरती जाए।
गौरतलब है कि दारुल उलूम, देवबंद ने रविवार (दिसंबर 12, 2021) को आतंकवाद फैलाने के लिए तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी सरकार के फैसले को अस्वीकार कर दिया और कहा कि संगठन को बिदत (अवांछनीय मजहबी प्रयोग) और शिर्क (बुतपरस्ती) से जोड़ना निराधार था।
इस्लामिक मदरसे ने किंगडम से अपने फैसले की समीक्षा करने को भी कहा। दारुल उलूम ने कहा कि आरोप निराधार थे और जमात की भूमिका दीन (विश्वास) के प्रसार की थी।