मुझे आतंक नहीं, शांति चाहिए इसलिए अपनाया सनातन: वसीम रिजवी 'घरवापसी' के बाद बने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी

06 दिसम्बर, 2021
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने वसीम रिज़वी की सनातन धर्म में घरवापसी करवाई

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने इस्लाम पंथ त्याग कर हिंदू धर्म में आने का फैसला कर लिया है। सोमवार सुबह ही वसीम रिज़वी ने गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के साथ मिलकर पूरे रीति रिवाज़ों के साथ हिंदू धर्म अपनाया और अब वे त्यागी समुदाय के साथ जुड़ गए हैं।

डू-पॉलिटिक्स टीम जीतेन्द्र नारायण त्यागी की ‘घरवापसी’ कार्यक्रम के दौरान डासना देवी मंदिर में ही मौजूद थी और इसका विस्तृत इंटरव्यू एवं विवरण जल्द ही हमारे यूट्यूब चैनल पर प्रकाशित किया जाएगा।

लंबे समय से विवादों में चल रहे शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी को लेकर एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। वकील वसीम रिज़वी ने कुछ समय पहले यह इच्छा जताई थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके मृत शरीर को मुस्लिम पंथ के अनुसार दफनाया न जाए बल्कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार किया जाए।

इसी मामले में सोमवार (6 दिसंबर, 2021) को वसीम रिज़वी ने डासना मंदिर के महंत श्री यति नरसिंहानंद सरस्वती की अगुवाई में इस्लाम पंथ को त्याग दिया और हिंदू धर्म में घर वापसी करने का निर्णय लिया है। 6 दिसंबर, 2021 को ही यति नरसिंहानंद उन्हें सनातन धर्म में वापसी लाएँगे।

वसीम रिज़वी हिंदू धर्म के त्यागी समुदाय के साथ जुड़ रहे हैं। बता दें कि यति नरसिंहानंद सरस्वती भी त्यागी समुदाय से आते हैं और एक लंबे समय से वे विभिन्न अवसरों पर वसीम रिज़वी का समर्थन करते देखे गए थे।

यति नरसिंहानंद सरस्वती ने वसीम रिज़वी की घरवापसी पर यहाँ तक कहा कि अब उनके पिता की तीन संतानें हैं, जिनमें से एक दीपेंद्र त्यागी (स्वयं) सन्यासी बन गया है, लेकिन अब जीतेन्द्र त्यागी उनका बेटा है।

रिज़वी ने अपनी घरवापसी के बाद अपना नाम भी वसीम रिज़वी से बदलकर जीतेन्द्र नारायण त्यागी रख लिया है और इस अवसर पर उन्होंने शुरुआती बातचीत के दौरान कहा कि अब से वे केवल हिंदुत्व के लिए कार्य करेंगे।


मिल रही थी मौत की धमकियाँ 

वसीम रिज़वी ने इसी वर्ष मई माह में सर्वोच्च न्यायालय में अर्ज़ी डाली थी कि कुरान में से 26 आयतों को प्रतिबंधित किया जाए या उन्हें हटाया जाए। रिज़वी का यह विचार था कि ये आयतें कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने रिज़वी की इस याचिका को खारिज कर दिया था और उन पर ₹50,000 का भारी जुर्माना भी लगाया था।

इस घटना के बाद से ही कई कट्टरपंथी इस्लामी संगठन रिज़वी के पीछे हाथ धोकर पड़े थे। रिज़वी ने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा था कि उन्हें जान से मारने की धमकियाँ दी जा रही हैं। 

इसके साथ ही कुछ दिनों पहले रिज़वी ने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक के विमोचन में स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती समेत कई बड़ी हस्तियाँ शामिल हुई थीं। इस घटना के बाद भी निरंतर रिज़वी को मारने की धमकियाँ मिल रही थीं। इससे परेशान रिज़वी ने कुछ दिनों पहले मीडिया से बातचीत में कहा था:

“मैंने उन 26 आयतों के विरुद्ध आवाज़ उठाई जो इंसानियत के लिए नफरत फैलाती हैं और इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद चरित्र के कुछ तथ्य जो छुपे हुए थे, उन पर आधारित एक किताब लिखी, जिसका नाम ‘मोहम्मद’ है। इसी कारण मुसलमान मुझे मार देना चाहते हैं और यह भी ऐलान किया है कि वे किसी कब्रिस्तान में भी मुझे जगह नहीं देंगे।” 

हिन्दू रीति रिवाजों के विषय में रिज़वी ने आगे कहा:

“मेरे मरने के बाद शांति बनी रहे इसलिए मैंने वसीयतनामा लिखा है कि मेरा शरीर मेरे हिंदू दोस्तों को लखनऊ में दे दिया जाए और चिता बनाकर मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए। मेरे शरीर को मुखाग्नि हमारे यति नरसिंहानंद सरस्वती जी देंगे। इसका अधिकार मैंने उन्हें दिया है।”



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