कट्टर मजहबी गतिविधियों में शामिल हैं मदरसे, सरकारी धन क्यों खर्च कर रही है राज्य सरकार: केरल HC

03 जून, 2021
केरल HC ने राज्य सरकार से पूछा- मदरसा शिक्षकों को पेंशन क्यों दे रहे हो?

एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुए केरल हाईकोर्ट ने राज्य की वामपंथी सरकार से पूछा है कि वह मज़हबी गतिविधियों का वित्तपोषण क्यों कर रही है। केरल हाईकोर्ट ने मदरसों के शिक्षकों को पेंशन और अन्य वित्तीय लाभ देने की सरकारी योजना को लेकर ये सवाल पूछा है।

उच्च न्यायालय ने मंगलवार (01 जून, 2021) को राज्य में मदरसा शिक्षकों को पेंशन प्रदान करने के के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या उसने केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष में कोई योगदान दिया है?

मदरसा शिक्षको को पेंशन देने के खिलाफ दायर हुई थी याचिका

लोकतंत्र, समानता, शांति और धर्मनिरपेक्षता के लिए नागरिक संगठन के सचिव मनोज ने केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष अधिनियम 2019 को रद्द करने की माँग की गई है।

इसी याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश जारी किया है। यह अधिनियम मदरसा शिक्षकों को पेंशन और अन्य लाभ देने के लिए पारित किया गया था।

‘सिर्फ कट्टर मज़हबी शिक्षा को बढ़ावा देते हैं मदरसे

याचिकाकर्ता के वकील सी राजेंद्रन ने कोर्ट से कहा कि ‘अधिनियम को पढ़ने से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि ये मदरसे केवल कुरान और इस्लाम से संबंधित कट्टर मज़हबी शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम के बारे में ही ज्ञान प्रदान कर रहे हैं’।

हाईकोर्ट ने कहा कि उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारी मात्रा में सरकारी धन खर्च करना असंवैधानिक है और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने याचिका पर विचार करते हुए राज्य सरकार से कहा, “केरल में मदरसे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलाए जा रहे मदरसों से बिल्कुल अलग हैं जो मज़हबी शिक्षा के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता की शिक्षा भी देते हैं, जबकि केरल के मदरसे विशुद्ध रूप से एक मज़हबी गतिविधि में शामिल हैं।”

कोर्ट ने सरकार से पूछा, “एक मज़हबी गतिविधि के लिए राज्य द्वारा धन खर्च खर्च करने का उद्देश्य क्या है?” कोर्ट ने अपने आदेश में केरल राज्य सरकार से यह भी स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या उसने केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष में कोई योगदान दिया है।”

मुस्लिमों को 80% छात्रवृत्ति का आदेश भी रद्द हुआ था

इससे पहले 29 मई को केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसले में केरल सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसके अनुसार राज्य में मुस्लिम छात्रों को 80% और अल्पसंख्यक ईसाई छात्रों को 20% छात्रवृति दी जा रही थी।

केरल सरकार भेदवाव पूर्ण तरीके से राज्य के मुस्लिमों को 80 % छात्रवृत्ति दे रही थी, जबकि लैटिन कैथोलिक ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को 20% छात्रवृति देने का आदेश दे रखा था। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि मुस्लिमों को 80% छात्रवृत्ति राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे के खिलाफ है।

अपने आदेश में जस्टिस शाजी पी चाली और चीफ जस्टिस मणिकुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार को अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों को समान रूप से योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करने का निर्देश दिया।



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