उत्तर प्रदेश के रामपुर से धर्मान्तरण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस घटना में एक व्यक्ति द्वारा विधवा महिला से निकाह कर उसके 2 नाबालिग बच्चों का जबरन खतना कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया।
देश के विभिन्न भागों से दिन प्रतिदिन अवैध पंथ परिवर्तन के मामले सामने आते रहते हैं। कई राज्यों द्वारा इसे लेकर सख़्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन फिर भी दोषियों के हौसले कम होते नहीं दिख रहे हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के रामपुर से सोमवार (14 जून, 2021) को सामने आया। इसमें एक विधवा सिख महिला एवं उसके दो बच्चों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित कराया गया।
उत्तराखंड की निवासी हरजिंदर कौर के पति हरकेश की महफूज़ नामक मुस्लिम युवक से दोस्ती थी। महफूज़ पेशे से ऑटो रिक्शा चालाक है। 8 मई को एक दुर्घटना में हरकेश की मृत्यु हो गई जिसके बाद महफूज़ हरकेश की विधवा हरजिंदर तथा उसके दो बच्चों 12 वर्षीय राहुल और 10 वर्षीय सुमित को ध्यान रखने के बहाने से अपने साथ अपने घर रामपुर ज़िले के बरुआ गाँव में ले आया था।
लगभग महीनेभर अपने घर रखने के बाद महफूज़ ने 11 जून, 2021 को अपने अम्मी-अब्बू मुमताज के कहने पर हरजिंदर से निकाह करने और बच्चों का खतना करने की बात कही। इसके बाद महफूज़ ने हरजिंदर से निकाह कर लिया।
दोनों बच्चों का शकील नामक व्यक्ति द्वारा खतना कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया और उनके नाम भी बदलकर फरमान और अनस रख दिए गए। पीड़िता हरजिंदर का नाम बदलकर भी गुलिस्ता कर दिया गया। खतना कराने के कारण बच्चों की हालत गंभीर हो गई। बच्चों को शाहबाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जिसके बाद ही पूरा मामला लोगों के सामने आया।
पूरे मामले की जानकारी सामने आने पर सामाजिक संगठनों द्वारा पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने 12 जून की रात को दोनों बच्चों और पीड़िता को आरोपित परिवार की गिरफ्त से छुड़ाया।
घटना में सम्मिलित महफूज़ के घरवालों और एक इमाम समेत पुलिस ने 5 लोगों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 3, 5(1) और 324 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने खतना करने वाले शकील को भी अपनी गिरफ्त में लिया है परंतु मुख्य आरोपित महफूज़ अभी भी फरार है।
बता दें कि गत वर्ष ही उत्तर प्रदेश में जबरन अवैध पंथ परिवर्तन कराने पर दंड देने का प्रावधान लागू हुआ था। इसमें शादी करके जबरन पंथ परिवर्तन कराने पर 15 हज़ार का जुर्माना और 5 साल तक कैद हो सकती है।
इस प्रकार के मामलों से यह तो साफ़ है कि कानून के बन जाने पर भी दोषियों में क़ानून को लेकर भय प्रतीत नहीं हो रहा है। शायद इस विषय में सरकार को और सोचकर अधिक सख्त क़ानून बनाने की आवश्यकता है।