दस दिन में चार बड़े दक्षिणपंथी यूट्यूब चैनल बंद, क्या कर रही है सरकार?

22 जुलाई, 2021 By: पुलकित त्यागी
यूट्यूब ने 10 दिनों में लगाया 4 चैनलों पर प्रतिबंध

अमेरिका, चीन, रूस और यूरोप के कई बड़े देश दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह समझ गए कि दुनिया को गोला-बारूद से जीतना संभव नहीं है। इसीलिए रूस द्वारा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही अपनी KGB जैसी संस्थाओं को भारत समेत कई बड़े देशों को अंदर से तोड़ने के काम पर लगा दिया गया। 90 का दशक समाप्त होते-होते जब विश्वभर में इंटरनेट का संचार बढ़ा तो, विभिन्न देशों ने यह जाना कि अगली क्रांति यही है।

चीन जैसे देश यह समझ चुके हैं कि अगला विश्वयुद्ध बारूद जैसे हथियारों से नहीं बल्कि एक साइबर युद्ध होगा, जो इंटरनेट के माध्यम से लड़ा जाएगा। इसी कारणवश वामपंथी देश चीन निरंतर भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को अंदर से तोड़ने के अपने कुत्सित प्रयास में किंचित मात्र भी कमी नहीं छोड़ रहा है।

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वहीं, अमेरिका में तेज़ी से पनप रही वामपंथी विचारधारा भी इसमें अपना पूरा ज़ोर लगाए है। ‘सिलिकॉन वैली’ कहे जाने वाले अमेरिका के आईटी हब का संपूर्ण रूप से वामपंथी विचारधारा रखना मार्क ज़ुकरबर्ग जैसे लोग द्वारा पहले ही बता दिया गया है।

भारत में यह आईटी कम्पनियाँ अपनी अपनी इस विचारधारा को स्थापित करने तथा हर प्रकार की दक्षिणपंथी आवाज़ को दबाने का संपूर्ण प्रयास करती हैं। फिर चाहें वह फेसबुक हो या ट्विटर, यहाँ तक कि गूगल और उसके यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म द्वारा भी भारत में दक्षिणपंथी विचारधारा या हिंदुओं के विषय में बात करने वालों पर प्रतिबंध लगाना और उनकी आवाज़ को दबाने का पूरा प्रयास किया जाता है।

ट्विटर द्वारा दक्षिणपंथी अकाउंट्स को ब्लॉक करना या उनके ट्वीट डिलीट कराना कोई नई बात नहीं रह गई है और अब सभी ऐसी कंपनियों में दक्षिणपंथी आवाज़ों को दबाने के मानो होड़ सी लग पड़ी है।

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ऐसा ही एक कुत्सित प्रयास तब किया गया जब पिछले 10 दिन में यूट्यूब द्वारा चिन्हित करके चार अलग-अलग दक्षिणपंथी और हिंदू विचारधारा प्रस्तुत करने वाले चैनलों पर प्रतिबंध लगाए गए। इसमें यूट्यूब पर व्लौगिंग व रोस्टिंग चैनल चलाने वाले ‘एल्विश यादव’, ‘सत्य सनातन’ नामक चैनल के मालिक अंकुर आर्य, ‘सबलोकतंत्र’ चैनल के रचित एवं अमेरिका से टॉक शो एवं पॉडकास्ट चैनल चलाने वाले ‘संभव शर्मा’ के चैनलों को निशाना बनाया गया।


डू-पॉलिटिक्स द्वारा इन सभी लोगों से विस्तार में इस विषय में वार्ता की गई और उन्होंने यूट्यूब एवं सरकार के इस मामले में बर्ताव पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

हर हिंदू आवाज़ को बनाया जाएगा निशाना- ‘सत्य सनातन’ वाले अंकुर आर्य

डू-पॉलिटिक्स ने सर्वप्रथम ‘सत्य सनातन’ चैनल के संस्थापक अंकुर आर्य से वार्ता की, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर यह स्पष्ट किया कि यह एक योजनाबद्ध तरीके से की गई करतूत है।

अंकुर ने कहा कि ज़ाकिर नाइक जैसे इस्लामी कट्टरपंथी एक लंबे समय तक देश में जहरीली बातें और अपनी विचारधारा आगे बढ़ाते रहे। ज़ाकिर ने हिंदू सभ्यता एवं देवी-देवताओं को कलंकित करने और उन पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तब भी एक लंबे समय तक ऐसे इंसान को फलने-फूलने दिया गया, परंतु जब भी कोई हिंदू व्यक्ति इस्लाम या उससे संबंधित क़ुरान या हदीस की बातें करना या उन पर सवाल करना चाहता है तो उस पर इसी तरह के प्रतिबंध और रोक लगती आई हैं।

अंकुर द्वारा बकरीद के अवसर पर ईद-उल-अज़हा के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यात्मक जानकारियाँ साझा की गईं, जिसे यूट्यूब ने अपनी इस नियमावली के तहत प्रतिबंध लगा दिया कि उन्होंने अपने वीडियो में ‘प्रोटेक्टिव कम्युनिटी’ के विरुद्ध बातें की हैं। अंकुर ने अपनी वीडियो में ईद-उल-अज़हा को लेकर केवल कुछ सवाल और तथ्य प्रस्तुत किए थे, जिसके चलते उनकी वीडियो को प्रतिबंधित कर दिया गया और उनके चैनल पर 7 दिनों का बैन लगा दिया गया।


अंकुर ने हमें बताया कि यह उन पर कोई पहली बार लगने वाली स्ट्राइक नहीं है। उनके चैनल पर पहले भी 8 से अधिक स्ट्राइक आ चुकी हैं। आगे जानकारी में उन्होंने यह भी बताया कि उनका चैनल पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब और बांग्लादेश जैसे देशों में बैन है। भारत में भी उनकी लगभग 80 वीडियोज़ को प्रतिबंधित रखा गया है।


अंकुर ने साल भर पूर्व ऐसे कई ‘ढोंगियों’ के विरुद्ध भी वीडियो बनाया था, जिसमें खुद को ‘बाबा’ बताने वाले ये लोग अज़ान के समय गीता पाठ बंद कर देने जैसी बातें करते देखे जा सकते हैं। अंकुर ने अपनी वीडियो में इसे ‘सॉफ्ट जिहाद’ की संज्ञा दी थी, और इसी के कारण लव-जिहाद के बढ़ते मामलों की ओर भी संज्ञान लिया था। यूट्यूब द्वारा इस वीडियो को भी ‘रेस्ट्रिक्ट’ किया गया, जिसके कारण उसकी रीच काफी हद तक गिर गई। हालाँकि यह वीडियो फेसबुक पर खासा वायरल हुआ था। 

बता दें कि अंकुर साल 1992 में राजस्थान के अजमेर में हुए बहुचर्चित अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग केस के विषय में भी बात कर चुके हैं। इस मामले में अजमेर इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस के प्रमुख फारूक चिश्ती समेत लगभग 18 लोगों पर आरोप लगा था। इसमें फारुख चिश्ती द्वारा सोफिया स्कूल की नाबालिग बच्चियों के आपत्तिजनक फोटो लेकर पहले उन्हें ब्लैकमेल किया गया था, बाद में उनके साथ बलात्कार की घटनाएँ सामने आई थीं।

अंकुर के जिस वीडियो पर बैन लगाया गया है, असल में वह साल भर पुराने एक वीडियो का ही अंश है। वह साल भर पुराना वीडियो अब तक यूट्यूब पर मौजूद है। इससे यह साफ होता है कि इस नए वीडियो पर चिन्हित कर आक्रमण यानी ‘मास रिपोर्टिंग’ कराई गई। अंकुर ने कहा कि उनके तो इतने अधिक वीडियोज़ को यूट्यूब से हटाया जा चुका है कि अब उन्हें यूट्यूब से भी कुछ खास उम्मीद तक नहीं है।

‘एंडेंजर्ड कम्युनिटी’ के विरुद्ध की बातें- सबलोकतंत्र

‘बाबा’ के नाम से प्रचलित ‘सबलोकतंत्र’ चैनल के प्रमुख रचित ने डू-पॉलिटिक्स से बात करते हुए बताया कि उन पर तो ‘एंडेंजर्ड कम्युनिटी’ के विरुद्ध बातें करने का आरोप लगाया गया।

रचित ने हाल ही में आई फिल्म ‘तूफान’ में लव-जिहाद का अजेंडा होने की बात कही थी। ध्यान देने योग्य बात यह है कि यूट्यूब चैनल ‘सबलोकतंत्र’ की सामान्य वीडियोज़ पर 2-3 लाख व्यूज आते हैं, परंतु उस वीडियो को 2 दिनों के भीतर ही 3.5 लाख से अधिक व्यूज़ मिले थे एवं 3 दिन तक वीडियो यूट्यूब पर अच्छा चल रहा था। 

3 दिनों बाद रचित ने आमिर खान के तलाक के विषय में एक अन्य वीडियो बनाया जो कम समय में ही भारी ख्याति पा गया। इस पर लगभग 1 मिलियन (10 लाख) व्यूज़ आ गए। इसके बाद ही उनके पिछले वीडियो को चिन्हित कर ‘रिपोर्टिंग’ का शिकार बनाया गया और उसे यूट्यूब से हटवा दिया गया। इस मामले पर यूट्यूब ने उन पर ‘हेट स्पीच’ और ‘एंडेंजर्ड कम्युनिटी’ के विरुद्ध बोलने की नियमावली तोड़ने का आरोप लगाया।

इस मामले में तो यह शक लगभग यकीन में बदला ही प्रतीत होता है कि रचित के चैनल को बॉलीवुड के लोगों या उनके कथित प्रशंसकों द्वारा ही निशाना बनाया गया है।

पूरे मामले पर रचित ने यूट्यूब से पूछा कि उनके किस शब्द में ‘हेट स्पीच’ या किसी के विरुद्ध बात की गई है तो इसका जवाब देने में यूट्यूब असमर्थ रहा। रचित ने यूट्यूब से मामले को लेकर 10 प्रश्न पूछे और यह चुनौती दी कि अगर यूट्यूब इन प्रश्नों का उत्तर दे दे और इस चैनल में ‘हेट स्पीच’ जैसी बातों के प्रमाण प्रस्तुत कर दे तो वे अपना चैनल ‘डिलीट’ कर देंगे।


यूट्यूब का इस मामले पर न तो कोई उत्तर आया न ही उनके द्वारा कोई प्रमाण प्रस्तुत किए गए। 

बता दें कि सबलोकतंत्र चैनल की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संबंधित एक वीडियो को भी प्रतिबंधित किया गया था, जिसे सोशल मीडिया द्वारा आवाज़ उठाए जाने के कारण बाद में वापस ले आया गया। 

रचित ने हमसे बात करते हुए बताया कि ‘ईस्टमोजो’ नामक एक पोर्टल पर उनके विरुद्ध एक आर्टिकल भी छपा था। इसमें उन पर यह आरोप लगाए गए थे कि वे ‘हिंदू कट्टरपंथियों’ को कई चर्चित हस्तियों के बहिष्कार के लिए उकसाते हैं। इस लेख में ‘हिंदू कट्टरपंथी’ शब्द का विशेष तौर पर प्रयोग किया गया था। 


सरकार द्वारा इस मामले में संज्ञान लेने और इन ऐप्स और वेबसाइट पर नकेल कसने को लेकर रचित ने कहा कि उन्हें सरकार से कुछ विशेष उम्मीद नहीं है क्योंकि जिस तरह अभी मंत्रालय बदले हैं, अगर सरकार चाहती तो इस पर कोई बड़ा एक्शन ले सकती थी, परंतु न तो अब तक ट्विटर के विरुद्ध न ही यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स के विरुद्ध कोई कार्रवाई की गई है ‌।

‘हेट स्पीच’ का आरोप, अपील का जवाब नहीं

इसके बाद डू-पॉलिटिक्स की टीम ने बहुचर्चित यूट्यूबर एल्विश यादव से इस मामले में वार्ता की। बता दें कि एल्विश यादव के यूट्यूब पर 2 चैनल हैं, जिनमें एक पर 8 मिलियन (80 लाख) से अधिक वहीं दूसरे चैनल एल्विश यादव व्लॉगस पर 2 मिलियन (20 लाख) से अधिक सब्सक्राइबर हैं। 

एल्विश द्वारा अपने दूसरे चैनल ‘एल्विश यादव व्लॉगस’ पर देश में घटने वाली बहुचर्चित घटनाओं इत्यादि को लेकर बातें और रोस्टिंग की जाती है। एल्विश ने इस चैनल पर 18 जुलाई, 2021 को ध्रुव राठी नामक अन्य यूट्यूबर का एक रोस्ट किया।

बता दें कि ध्रुव राठी यूरोप में रहने वाला एक भारतीय मूल का व्यक्ति है, जो भारत सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कई प्रकार की विभिन्न टिप्पणियाँ करते हुए वीडियो बनाकर चर्चा में आ चुका है। इस व्यक्ति द्वारा विभिन्न देशी-विदेशी वामपंथी न्यूज़ पोर्टलों के आधार पर वीडियोज़ बनाई जाती हैं, जिनमें यह भारत के कई बड़े-बड़े सकारात्मक दिशा में लिए गए निर्णयों की आलोचना करता दिखता है।


एल्विश द्वारा ध्रुव राठी का रोस्ट बनाने कुछ समय बाद ही उन्हें यूट्यूब से संदेश आया, जिसमें उनकी लगभग 1 वर्ष पुरानी वीडियो को ‘हेट स्पीच’ की नियमावली के अंतर्गत हटा दिया गया।

इस पर एल्विश ने कहा:

“मुझ पर टारगेट करके मास रिपोर्टिंग कराई गई है, वरना 1 वर्ष पुरानी वीडियो के अचानक हट जाने का क्या मतलब है ? अगर वीडियो में कुछ ऐसा ही गलत या नकारात्मक था तो यूट्यूब ने वीडियो को उसी समय क्यों नहीं हटाया जब वह डाली गई थी।


उन्होंने मामले को लेकर यूट्यूब को पुनः अपील भी की है, परंतु यूट्यूब से अब तक कोई उत्तर नहीं आया है। बता दें कि कुछ समय पहले भी एल्विश द्वारा पाकिस्तान से संबंधित एक रोस्ट वीडियो को भी इसी प्रकार ‘हेट स्पीच’ करार देकर हटा दिया गया था।

एल्विश ने हमसे बात करते हुए कहा कि उन्हें यूट्यूब से अपनी वीडियो वापस आ जाने की थोड़ी-बहुत उम्मीद है परंतु उन्हें सरकार से इस मामले में कोई बड़ा कदम उठाने की कुछ विशेष उम्मीद नहीं है।

इस मामले में एक दिलचस्प बात यह भी है जो ध्रुव राठी के बनाए गए कुछ समूह हैं जो इस प्रकार की वीडियोज़ और लोगों को टारगेट करते हैं। ये ध्रुव राठी स्क्वाड इत्यादि के नाम से प्रचलित हैं। उसके कुछ लोगों ने ही ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की है, उन्हें उन सभी ग्रुप्स पर चिन्हित करके वीडियोज़ मास रिपोर्ट करने के आदेश दिए जाते थे। 


शैम शर्मा पर ‘साइबर-बुलिंग’ का आरोप

अमेरिका में बसे भारत के मूलनिवासी शैम शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा एक टॉक शो और पॉडकास्ट चलाया जाता है। इसमें वह देश-दुनिया के विषय में लोगों को बुलाकर एवं अपने पक्ष भी प्रस्तुत करते हैं।

शैम ने एल्विश यादव की राठी के विषय में बनाई गई वीडियो पर ‘रिएक्शन’ यानी ‘प्रतिक्रियात्मक वीडियो’ बनाया था। इस मामले में शाम के चैनल पर भी प्रतिबंध लगाया गया। यूट्यूब ने उन पर ‘हैरासमेंट’ ‘धमकी देना’ एवं ‘साइबर बुलिंग’ के आरोप लगाते हुए उनकी वीडियो को हटा दिया।


शैम द्वारा इस मामले को लेकर यूट्यूब से सवाल पूछे गए कि उनकी वीडियो कहाँ एवं किस समय पर यूट्यूब की नियमावली के विरुद्ध जाती है? इस पर यूट्यूब ने आश्चर्यजनक रूप से हार कर उनसे माफी माँगी तथा कुछ समय बाद शाम की वीडियो को यूट्यूब पर वापस ले आया गया।


शैम की वीडियो वापस आना एक दुर्लभ परिस्थिति ही थी। अधिकतर मामलों में यूट्यूब द्वारा वीडियो हमेशा के लिए डिलीट करवा दिया जाता है।

डू-पॉलिटिक्स भी बन चुका है शिकार

इन सब मामलों से बहुत पहले ‘डू-पॉलिटिक्स’ का यूट्यूब चैनल भी यूट्यूब की इस तानाशाही का शिकार बन चुका है। डू-पॉलिटिक्स द्वारा डासना देवी मंदिर के महंत स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक साक्षात्कार अपने चैनल पर प्रसारित किया गया था। इसमें यति नरसिंहानंद ने डासना क्षेत्र में फैली एक विशेष समुदाय की अराजकता एवं उपद्रवी गतिविधियों को सामने रखा था।

यूट्यूब द्वारा इस वीडियो को भी ‘हेट स्पीच’ कहकर अपने प्लेटफार्म से हटा दिया गया, हालाँकि अगर आप यह वीडियो देखना चाहते हैं तो यह डू-पॉलिटिक्स के फेसबुक पेज पर अभी भी मौजूद है।

ऐसे ही एक समान मामले में ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ नामक हमारे अन्य चैनल को भी निशाना बनाया गया। ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ चैनल द्वारा बनाए गए बलूचिस्तान के विषय में एक गाने की वीडियो पर भी यूट्यूब ने कार्रवाई की थी।

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार और सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों पर बने इस गाने को यूट्यूब ने हिंसक करार देते हुए प्रतिबंधित कर दिया था। यह वीडियो अब भी यूट्यूब द्वारा एक चेतावनी के साथ चलाया जाता है।


ट्विटर पर भारी विरोध

इस पूरे मामले को लेकर ‘ट्विटर’ पर भारी विरोध देखा गया। लोगों ने एल्विश यादव के लिए एकजुट होकर ट्वीट किए तथा यूट्यूब के विरुद्ध मोर्चा खोला। ट्विटर पर अब तक #elvishwillrise के नाम पर लगभग 2 लाख ट्वीट किए जा चुके हैं।

लोगों ने यह माँग की है कि यूट्यूब द्वारा इस प्रकार का भेदभाव को समाप्त किया जाए और विभिन्न कंटेंट बनाने वालों तथा मीडिया संस्थाओं को भी अपनी बात रखने की पूरी स्वतंत्रता दी जाए। यूट्यूब को किसी विशेष दल की तरह नहीं अपितु एक प्लेटफार्म की तरह कार्य करने की आवश्यकता है।

कई यूट्यूब की हस्तियों द्वारा सरकार को भी इस मामले में घेरा जा रहा है। उनकी शिकायत है कि सरकार द्वारा जिस तरह ट्विटर को एक लंबे समय तक केवल चेतावनियाँ देकर छोड़ा गया, उसी कारण इस प्रकार की परिस्थितियाँ पैदा हुई हैं कि अब सभी कंपनियाँ भारत में अपनी मनमानी करते हुए नियमावली के नाम पर तानाशाही कर रही हैं।

लोगों की सरकार को यह अपील है कि वह इस मामले में सख़्ती बरते तथा जल्द से जल्द इन कंपनियों पर नकेल कसे। अगर इन्हें भारत में रहना और व्यापार करना है तो भारत की नियमावली के अनुसार ही चलना ही होगा।





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