UP: धर्मांतरण विरोधी कानून के आधार पर HC ने 3 जोड़ों के निकाह को नहीं दी मान्यता, काजी के निकाहनामे को बताया अवैध

30 जून, 2021
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 3 अंतरधार्मिक जोड़ों को संरक्षण देने से इनकार किया है

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अंतरधार्मिक जोड़ों को ‘उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी कानून’ का हवाला देते हुए सुरक्षा देने से इंकार कर दिया है। अपने फैसले में अदालत ने तीनों जोड़ो के विवाह को भी अवैध ठहराया है।

अपीलकर्ताओं में से पहले दो जोड़ों की लड़कियों ने हिन्दू युवकों से विवाह के लिए इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपनाया था, जबकि तीसरे जोड़े के पुरुष ने एक मुस्लिम युवती से विवाह के लिए हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल बेंच ने बुधवार (30 जून, 2021) को याचिकर्ताओं की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि उनके विवाह अवैध थीं क्योंकि उन्होंने हाल ही में बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून ‘उत्तर प्रदेश धर्म के गैरकानूनी रूपांतरण पर प्रतिबंध अधिनियम’ के तहत आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया था।

तीनों दम्पतियों ने अपने परिवार के सदस्यों पर धमकी देने का आरोप लगाया था और सुरक्षा की माँग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधीश सिद्धार्थ की पीठ ने अंतरधार्मिक जोड़ों की सुरक्षा की माँग यह कहते हुए खारिज कर दी कि उन्होंने धर्मांतरण विरोधी अधिनियम की धारा 8 और 9 का अनुपालन नहीं किया है, जिसकी वजह से ये विवाह अवैध है।


काजी का निकाहनामा अवैध

इनमें से एक याचिका विवेक सैनी की ओर से दाखिल की गई, जिसने अपनी मुस्लिम साथी से विवाह करने के लिए 5 मार्च को इस्लाम धर्म अपनाया था।

अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता द्वारा इस्लाम धर्म की स्वीकृति का प्रमाण पत्र, काजी द्वारा हस्ताक्षरित निकाहनामे के कागज़ात पेश किए गए हैं, जिनसे यह साबित किया जा रहा है कि याचिकाकर्ता निकाह कर चुके हैं, लेकिन इसमें धर्मांतरण विरोधी अधिनियम की धारा 8 और 9 का अनुपालन नहीं किया गया है, इसलिए काजी के प्रमाण पत्र का कोई मतलब नहीं है।”

अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण निषेध अध्यादेश 2020 की धारा 8 और 9 के मद्देनजर याचिकाकर्ता का विवाह अवैध है और काजी के प्रमाण पत्र का कोई मतलब नहीं है। याचिकाकर्ता का हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म में परिवर्तन अध्यादेश का उल्लंघन है।

दूसरे मामले में एक मुस्लिम युवती ने हिंदू पुरुष से शादी करने के लिए हिंदू धर्म अपना लिया था और आर्य समाज के एक अधिकारी द्वारा जारी किया गया विवाह प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया। कोर्ट ने उपरोक्त याची की याचिका भी कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें धर्मान्तरण विरोधी अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।

अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निषेध अध्यादेश 2020 की धारा 8 और 9 के मद्देनजर याचिकाकर्ता करीना उर्फ पूजा का इस्लाम से हिन्दू धर्म मे धर्मांतरण अवैध है।

तीसरे मामले में भी, एक मुस्लिम महिला ने हिंदू पुरुष से शादी करने के लिए हिंदू धर्म अपनाया था, लेकिन उनकी ओर से धर्मांतरण का कोई सबूत पेश नहीं किया गया था।

तीसरे जोड़े की याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा, “उन्होंने अपनी शादी के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश धर्म के गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश 2020 की धारा 8 और 9 के मद्देनजर याचिकाकर्ता का धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता इसलिए याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती।”

दिलचस्प बात यह है कि न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की इसी पीठ ने पिछले हफ्ते ही 26 जोड़ों को सुरक्षा प्रदान की थी, जिन्होंने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि उन्हें अपने परिवार के सदस्यों से ख़तरा है। इनमें से अधिकतर मामलों में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वे वयस्क हैं और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध शादी कर ली है।


अदालत ने उन याचिकाओं का निपटारा करते हुए उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को याचिकाकर्ता जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। ये आदेश जस्टिस सिद्धार्थ की एकल बेंच ने ही 21 जून से 23 जून, 2021 के बीच पारित किए थे।

एक अन्य मामले में 11 जून, 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ही जस्टिस सलिल कुमार राय की पीठ ने एक अंतरधार्मिक याचिकाकर्ता जोड़े को सुरक्षा देने का आदेश देते हुए सम्बंधित अधिकारियों को ये सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि कोई भी दम्पत्ति के निजी जीवन मे हस्तक्षेप न करें।

यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हिन्दू लड़की की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था, जिसने इस्लाम धर्म अपना लिया था। 20 वर्षीय हिन्दू युवती ने इस्लाम ग्रहण करने के पश्चात एक 40 वर्षीय मुस्लिम से विवाह कर लिया था और अपने परिवार से जान का खतरा बताते हुए जोड़ा हाईकोर्ट की शरण में गया थे। अदालत ने कहा था कि वो बालिग है और अपनी मर्जी से किसी भी धर्म के युवक से विवाह लड़ने के लिए स्वतन्त्र है।





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