दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर रविवार (8 अगस्त, 2021) को हुए ‘भारत बचाओ आंदोलन‘ की एक सभा के अज्ञात लोगों के विरुद्ध दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस का आरोप है कि सभा में आए कुछ लोगों ने समुदाय विशेष के विरुद्ध भड़काऊ नारेबाज़ी की थी।
दिल्ली के कनॉट प्लेस क्षेत्र में स्थित जंतर-मंतर पर 8 अगस्त को दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय, पूर्व अभिनेता गजेंद्र चौहान जैसे लोगों के नेतृत्व में ‘भारत बचाओ आंदोलन’ नामक एक सभा का आयोजन किया गया था। इस सभा का उद्देश्य भारत में सदियों से चले आ रहे अंग्रेजों के ज़माने के काले कानूनों को इंडियन पीनल कोड से हटाना एवं नए 5 कानूनों की माँग सामने रखना था।
आंदोलनकारियों का दावा है कि यह आंदोलन आगे राजधानी से देश के विभिन्न हिस्सों में जाएगा और सरकार के समक्ष यह पाँच कानून बनाने की माँग रखेगा।
इस सभा से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस के डीसीपी द्वारा ट्वीट करके यह जानकारी साझा की गई थी कि इस प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई है, परंतु फिर भी जंतर-मंतर पर कई हजारों की भीड़ इकट्ठा हुई।
दिल्ली पुलिस द्वारा इस मामले को लेकर एक शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें पुलिस का कहना है कि आंदोलन में आए कुछ लोगों ने समुदाय विशेष के विरुद्ध नारेबाजी की थी एवं कई भड़काऊ नारे भी लगाए गए।
नई दिल्ली के पुलिस अधिकारी ने कहा:
“हमने उन्हें डीडीएमए के दिशा निर्देशों के बारे में सूचित करने के बाद अनुमति देने से इनकार कर दिया था और बाद में पता चला कि अश्विनी उपाध्याय अपने लिए कोई इंडोर स्थल की तलाश कर रहे थे। पुलिस ने सोचा था कि लगभग 50 लोग आएँगे और उसी हिसाब से तैयारी की गई थी, परंतु अचानक छोटे समूहों में कई लोग इकट्ठा होने लगे। वे लोग शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन अचानक तितर-बितर होने पर नारे लगाने लगे।”
पुलिस ने कहा कि आंदोलनस्थल का ऐसा ही भड़काऊ नारों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसके आधार पर पुलिस ने फिलहाल अज्ञात लोगों के विरुद्ध कनॉट प्लेस पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया है और वीडियो की आगे जाँच की जा रही है।
मामले को लेकर ‘भारत बचाओ आंदोलन’ की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई भड़काऊ नारा नहीं आया है। जंतर-मंतर पर लगभग 5,000 लोग थे और अगर किसी कोने में 5 लोग इस तरह का नारा लगा रहे थे, तो वे स्वयं को उनसे अलग करते हैं।
शिप्रा ने यह भी कहा कि आंदोलन अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को दबाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले औपनिवेशिक कानूनों के विरोध के लिए था, जो अभी भी भारतीय कानून संहिता में मौजूद हैं।