ट्विटर पर कई वामपंथी और इस्लाम समर्थकों द्वारा #ArrestKunalSharma (अरेस्ट कुणाल शर्मा) हैशटैग ट्रेंड कराया जा रहा है। इसमें इन लोगों द्वारा कुणाल शर्मा नामक एक व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है कि उनके द्वारा कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं के विरुद्ध टिप्पणी की गई और उनका यौन शोषण किया गया।
इस बीच, सोशल मीडिया पर कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किए गए कुछ ऐसे पोस्ट भी सामने आए हैं, जिनमें हिंदू लड़कियों को खरीदे जाने की बातें हो रही हैं। सोशल मीडिया के एक वर्ग की शिकायत है कि हिन्दू युवतियों की ‘ख़रीद-फ़रोख्त’ की बात करने वालों के खिलाफ कभी विरोध या हैशटैग नहीं चलाए जाते।
कुछ समय पूर्व ‘सुल्ली डील्स’ नामक एक मोबाइल ऐप के विषय में सोशल मीडिया पर कई खबरें वायरल हुई थीं। इस ऐप में कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं की प्रोफ़ाइल बनी हुई थीं, परंतु इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी कि ये प्रोफ़ाइल स्वयं मुस्लिम महिलाओं द्वारा बनाई गई हैं या यह किसी अन्य व्यक्ति की हरकत है।
इस प्रकार की ख़बरें भी सामने आईं थीं कि यह ऐप किसी ज़ुबैर नमक व्यक्ति द्वारा बनाई गई थी, हालाँकि इस समाचार की भी पुष्टि नहीं हो पाई थी। इसके कुछ समय बाद सामाजिक एवं राजनीतिक विश्लेषक अंशुल सक्सेना ने कई ऐसे मोबाइल ऐप और वेबसाइट एक्सपोज़ किए थे जिनमें हिंदू महिलाओं के विरुद्ध बेहद आपत्तिजनक और विवादास्पद सामग्री साझा की जा रही थी।
‘सुल्ली डील्स’ ऐप का दोष हिन्दुओं के मत्थे मढ़ने बाद अब कई वामपंथी गिरोह कुणाल शर्मा नामक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए ट्विटर पर ट्रेंड चलवा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुणाल द्वारा लोगों को मुस्लिम महिलाओं से संबंध बनाने के लिए उकसाया जा रहा था।
इस विषय में ट्विटर पर कुछ स्क्रीनशॉट्स भी साझा हुए हैं और हर बार की भाँति वामपंथी गिरोह ट्विटर पर कुणाल की गिरफ्तारी की माँग करने लगा है। इस विषय में ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि कुणाल से अधिक इस मुहिम के माध्यम से डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती पर निशाना साधने की कोशिश की जा रही है।
कुणाल की डसना मंदिर के स्वयंसेवक श्रृंगी यादव के साथ तस्वीर वायरल कराई जा रही है और इसके माध्यम से नरसिंहानंद को घेरने की साज़िश जारी है। बता दें कि श्रृंगी यादव वही व्यक्ति है, जिसने डासना देवी मंदिर में पानी पीने के बहाने से चोरी करने घुसे ‘प्यासे आसिफ़’ नामक व्यक्ति की पिटाई की थी।
इसके साथ ही ट्विटर पर कुछ अन्य पोस्ट भी वायरल हुए हैं, जिसमें मुस्लिम नामों के अकाउंट्स से हिंदू महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की जा रही थीं। ऐसे कई ट्वीट सामने आए जिनमें ईद के बाज़ार में हिंदू महिलाओं को खरीदने-बेचने की बातें की जा रही हैं और शादी करके लड़की को हिंदू से मुस्लिम बनाने के भी कई ट्वीट वायरल हो रहे हैं।
इस मामले को लेकर ये सभी कथित आंदोलनकारी मुँह में गोंद दबाए नज़र आते हैं। अंशुल द्वारा एक्सपोज़ किए गए मोबाइल ऐप और वेबसाइट्स को लेकर भी ट्विटर या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर न तो कोई हैशटैग, न ही गिरफ्तारी की माँग उठी थी और इस बार भी इन आंदोलनकारियों का रवैया कुछ वैसा ही है।
कुणाल के विरुद्ध आक्रामक अजेंडा चलाने और ‘Selective Outrage’ करने वाले और श्रृंगी यादव के साथ उसकी तस्वीर वायरल कराने से यह साफ होता है कि ये गिरोह महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए नहीं अपितु केवल हिंदुओं एवं नरसिंहानंद की छवि खराब करने का उद्देश्य रखता है। अगर यह विरोध सचमुच महिलाओं के सम्मान और न्याय की परवाह के लिए होता तो बिना पंथ देखे सभी मामलों पर बराबर विरोध किया जाता, परंतु ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है।