हिंदुओं को आतंकवादी बताने पर 'फुल टाइम ट्विटर ट्रोल' स्वरा भास्कर की गिरफ्तारी की उठी माँग

18 अगस्त, 2021
स्वरा भास्कर के विवादित ट्वीट से उनकी गिरफ्तारी की माँग उठ रही है

अपने बेतुके और बिना सिर पैर वाले बयानों से चर्चा में रहने वाली बॉलीवुड की कथित अभिनेत्री एवं ट्विटर ट्रोल स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) एक बार फिर हिंदुओं से अपनी घृणा के चलते विवादों में आ गई हैं। सोशल मीडिया पर #ArrestSwaraBhaskar (अरेस्ट स्वरा भास्कर) हैशटैग ट्रेंड कर रहा हैं।

दरअसल स्वरा भास्कर ने अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी आतंकी संगठन तालिबान के बचाव की बचकाना कोशिश करते हुए उसकी तुलना हिंदुत्व से कर दी। स्वरा ने तालिबान आतंकवाद से साथ तुलना के लिए हिंदुओं को आतंकवादी बता दिया, जिसके बाद हिंदुओं के बीच आक्रोश पनप उठा और लोग स्वरा की गिरफ़्तारी की माँग कर रहे हैं।

स्वरा ने मंगलवार (17 अगस्त) को एक ट्वीट करते हुए लिखा:

“हम तालिबान के आतंक पर हैरानी और दुःख जताते हुए ‘हिंदुत्व आतंकवाद’ की तारीफ नहीं कर सकते। ऐसा भी नहीं हो सकता कि हम तालिबान के आतंक पर चुप बैठें और ‘हिंदुत्व आतंकवाद’ पर आक्रोश जताएँ। हमारे मानवीय व नैतिक मूल्य इस पर आधारित नहीं होना चाहिए कि अत्याचारी कौन है और पीड़ित कौन है।”

स्वरा भास्कर के इस तरह से हिन्दू धर्म को आतंकवाद से जोड़ने से लोग नाराज हो गए और इसे हिन्दू धर्म का अपमान बताते हुए स्वरा को गिरफ्तारी की माँग करने लगे। पुरुषों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली बरखा त्रेहान ने अपने ट्वीट में स्वरा भास्कर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कहते हुए लोगों से सहयोग माँगा है।

एडवोकेट युक्ति राठी ने स्वरा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए सरकार से कार्रवाई की माँग की है। उन्होने ट्वीट करते हुए लिखा, “यह ट्वीट एक भारतीय और एक हिंदू के रूप में मेरी भावनाओं को आहत कर रहा है। मैंने स्वरा भास्कर के खिलाफ समुदायों के बीच नफरत पैदा करने और मेरी भावनाओं को आहत करने के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज की है। कृपया कार्रवाई करें।”

Shinni &tu नामक ट्विटर यूज़र ने लिखा, “धारा 295 ए आईपीसी – जो कोई भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाएगा उसे 3 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा। स्वरा भास्कर को तुंरन्त गिरफ्तार किया जाए, जो आदतन अपराधी साम्प्रदायिक विद्वेष भड़काने वाली अपराधी है। इसके लिए स्वरा को पैसे का भुगतान कौन करता है?”

@Ishomilsharma ने नाराजगी जताते हुए लिखा, ” मैं एक हिंदू हूँ और मैं आतंकवादी नहीं हूँ क्योंकि मैं आपके $$ पर बम लगाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। आप हमारे बारे में ट्वीट/उल्टी कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं। एक हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता। तुम सिर्फ एक अटेंशन सीकर और ‘हिंदू धर्म पर एक काला धब्बा हो।”

@naturalphoton लिखते हैं, “स्वरा भास्कर हिन्दू आतंकवाद को जो निराधार बातें लिखती है, अगर उसे हम एक समाज के रूप में अनदेखा करना जारी रखते हैं तो यह एक बुरी मिसाल बन जाएगा। यह हमारे भारत में बहुमत की सहनशीलता का मजाक उड़ाने जैसा है। इसे एक कड़े संदेश के साथ रोकना होगा।”

इसके साथ ही कई सोशल मीडिया यूजर्स ने स्वरा का मज़ाक भी उड़ाया। उपासना लिखती है, “ये जीव खुद को भारत के अलावा दुनियाभर में सुरक्षित महसूस करती है”

एक मीम शेयर करते हुए कृष्णा लिखते है, “मैडम जी, मैं आपको अफगानिस्तान छोड़ आऊँ?”

पार्थ लिखते हैं, “स्वरा का जीवन चक्र:

  • नशे में उठो
  • भारत के खिलाफ कोई ट्वीट करो
  • नशा करके सो जाओ

समस्या केवल स्वरा की नहीं है, सभी लिबरल वामपंथी इस हिन्दूफ़ोबिक और हिन्दू घृणा से सने हुए हैं और हिंदुत्व से घृणा की आड़ में अपने मालिकों के लिए प्रोपगेंडा करते रहते हैं। दरअसल अफगनिस्तान में कब्जे के साथ ही वैश्विक मान्यता और छवि सुधानरे के प्रयासों के तहत तालिबान ने अपना ‘नया चेहरा’ पेश करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।

तालिबान का ‘नया रहम दिल चेहरा’ उसी प्रोपगेंडा का हिस्सा है जैसा इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ और बायडेन का ‘अमेरिका इज बैक’ था। न तो नए पाकिस्तान में कुछ बदला और न ही अमेरिका में, उसी तरह तालिबान में भी कुछ नहीं बदलने वाला लेकिन हमारे देश के लिबरलों को किसी भी तरह तालिबान को सही ठहराना है।

दुनियाभर के इस्लामी आतंकी संगठन आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और कूटनीति दाँव चलते हुए तमाम मुल्कों में अपने एजेंट बिठाते हैं। दुनिया की तमाम मीडिया हाउसेज़ को सोने के सिक्कों में तौलते हैं, ताकि लिबरल्स और लिबरल मीडिया, उनके कुकर्मों का बचाव कर सके।

ये स्वघोषित लिबरल और मीडिया घराने असल मे इस्लाम-परस्त होते हैं, मगर ‘सेक्युलरिज़्म’ का लिबादा ओढ़ना उनकी मजबूरी बना हुआ है। एक कौम को खुश रखने के लिए ये लोग झूठ की चादर ओढ़ कर बैठे रहते हैं, दुनियाभर के कुतर्क और झूठी कहानियाँ गढ़ते हैं।

तालिबान जैसे तमाम इस्लामी आतंकवादी समूह को बचाने के लिए ये कभी अमेरिका को दोषी ठहराते हैं, कभी इज़राइल को, तो कभी आरएसएस या हिन्दू समुदाय को। लेकिन झूठ की उम्र बहुत लंबी नहीं होती और बड़ा सवाल यही है कि झूठ और प्रोपगेंडा के दम पर कब तक ये लिबरल आतंकवाद की ‘असली जड़’ का बचाव कर पाएँगे।

दुनियाभर में इस्लामी आतंकवाद के प्रति लोगों की बढ़ती जागरूकता और दक्षिणपंथियों की सक्रियता से लगातार इनकी खुलती पोल से उपजी चिंता की लकीरें, इन ढोंगी लिबरलों के चेहरे पर साफ़ पढ़ी जा सकती हैं, और उनकी यही चिंता हमारे ह़ौसलों को मज़बूत करने के लिए काफी है।



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