साल 2022 के लिए सरकार की तरफ से अनिवार्य और वैकल्पिक छुट्टियों की लिस्ट को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल अनिवार्य छुट्टियों की लिस्ट में बहुसंख्यक समाज को दरकिनार किया गया है, जबकि मुस्लिम समुदाय के लगभग सभी प्रमुख त्योहारों को शामिल किया गया है।
केंद्र सरकार भी लेफ्ट लिबरल, सेकुलर राजनीतिक दलों और माननीय कोर्ट की राह पर चलते हुए देश के सबसे बड़े हिन्दू समुदाय को हाशिये पर रख मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर चल पड़ी है।
केन्द्र सरकार की 2022 की अनिवार्य छुट्टियों की लिस्ट में हिंदुओं के सिर्फ दो त्योहारों को जगह दी गई है, जबकि मुस्लिम समुदाय के चार त्योहार ‘अनिवार्य छुट्टियों’ की लिस्ट में शामिल हैं।
कहा जाता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ साथ त्योहारों, रंगों और मेलों का देश भी है। भारत सांस्कृतिक रूप से भी कृषि से जुड़ा हुआ है और यहाँ पर सभी त्योहार किसी न किसी तरह कृषि से जुड़े हैं। भारत में अलग अलग मौसम के आधार पर कई तरह की फसलें उगाई जाती है। इन्ही फसलों के आधार पर कई उत्सव और त्योहार भी मनाए जाते हैं।
इन उत्सवों को मनाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएँ भी जुड़ी हुई हैं। विभिन्न संस्कृतियों से जुड़े लोग यहाँ आपस में मिलजुल कर अपनी-अपनी संस्कृतियों के रंगों से महान भारत का निर्माण करते हैं। भारत की विशेषता ही यही है कि यहाँ लोग प्रकृति के विभिन्न रूपों को उत्सव के रूप मे मनाते हैं। यही कारण है कि भारत को ‘त्योहारों का देश’ भी कहा जाता है।
चूँकि भारत सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला देश है इसलिए यहाँ के त्योहार भी तीन श्रेणियों राष्ट्रीय, धार्मिक और मौसमी श्रेणियों में बँटे हैं। राष्ट्रीय त्योहार हर जाति, धर्म और पंथ के लोग मनाते हैं। मौसमी त्योहार हर मौसम में मनाए जाते है। अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नाम से मौसमी त्योहार मनाए जाते हैं। जबकि धार्मिक त्योहार आस्था के रूप में पूरे विश्व मे किसी एक सम्बंधित समुदाय द्वारा मनाए जाते हैं।
बात अगर हिन्दुओं के त्योहारों की करें, तो पिछले काफी समय से हिन्दू त्योहारों के खिलाफ प्रोपगेंडा चलाया जा रहा है। वोक लिबरल, पर्यावरणविद, बॉलीवुड और कोर्ट जैसी तमाम संस्थाएँ मिलकर ये तय करती हैं कि हिन्दू अपना त्योहार कैसे मनाएँ। कोर्ट दही हाँडी की ऊँचाई तय करती है, तो एसी कमरों में बैठकर पर्यावरण पर ज्ञान देते हुए लोग यह तय करते हैं कि दीवाली पर पटाखे फोड़े जाएँगे या नहीं।
राजनैतिक दल यह तय करते है कि होली पर रंग कितने बजे तक खेला जाएगा। वोक लिबरल मकर संक्रांति पर पतंग की डोर से पक्षियों की मौत की दर्दनाक कहानियाँ सुनाते हैं। यही लोग इस बकरीद पर बकरे की टाँग भकोसते भी नज़र आ जाते हैं।
क्रिसमस के पटाखों से पर्यावरण के नुकसान पर इनकी बोलती बंद हो जाती है। हिन्दूफोबिया के शिकार इन लोगों की श्रेणी में अब शायद केंद्र सरकार भी शामिल हो गई है।
दरअसल केंद्र सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 2022 की अनिवार्य छुट्टियों के साथ वैकल्पिक छुट्टियों की लिस्ट जारी की है। 2022 में 14 अनिवार्य छुट्टियाँ मिलेंगी। इन अनिवार्य अवकाश को राजपत्रित अवकाश भी बोला जाता है, जिन्हें लेना ही होता है। वहीं वैकल्पिक छुट्टियों की लिस्ट में से कुछ ही छुट्टी ले सकते हैं।
साल 2022 में राष्ट्रीय राजधानी के बाहर मौजूद प्रशासनिक कार्यालयों में 14 अनिवार्य छुट्टियां रहेंगी और वहीं 12 वैकल्पिक छुट्टियों में से 3 छुट्टियों को ले सकते हैं। अनिवार्य छुट्टियों की लिस्ट में हिंदुओं के सिर्फ दो त्योहारों दीपावली और दशहरा को जगह दी गई, जबकि मुस्लिम समुदाय के चार त्योहार ईद-उल-अजहा, ईद-उल-फितर, मोहर्रम और पैगम्बर मोहम्मद के जन्मदिन को शामिल किया गया है।
अन्य अल्पसंख्यकों के एक एक त्योहार अनिवार्य छुट्टी की लिस्ट में हैं। जैन समुदाय के एक त्योहार महावीर जयंती, बौद्ध समुदाय के एक त्योहार बुद्ध पूर्णिमा, सिख समुदाय के गुरु नानक जयंती और ईसाइयों के गुड फ्राइडे को अनिवार्य छुट्टी की लिस्ट में शामिल किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय त्योहार गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस ,गाँधी जयंती को अनिवार्य अवकाश घोषित किया गया है।
महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े त्योहारों को अनिवार्य छुट्टी की लिस्ट से बाहर रखा गया है। वैकल्पिक छुट्टियों की लिस्ट में दशहरे की एक अतिरिक्त छुट्टी, होली, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, महाशिवरात्रि, गणेश चतुर्थी, मकर संक्रांति, श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, ओणम, पोंगल तथा एक क्षेत्रीय त्योहार का अवकाश शामिल किया गया है।
क्षेत्रीय वैकल्पिक अवकाश की लिस्ट में चैत्र शुक्लदी, वैशाखी, बिहू, छठ, बसंत पंचमी, गुड़ी पड़वा, करवाचौथ तथा पारसियों का त्योहार नवरोज रखा गया। भारतीय राष्ट्रीय और क्षेत्रीय त्यौहार भारत का एक वास्तविक सांस्कृतिक विवरण प्रस्तुत करते हैं, लेकिन केंद्र की अनिवार्य छुट्टियों की लिस्ट देखकर लगता है कि भारत की असली पहचान सिर्फ मुस्लिम और इस्लामी त्योहार ही है।