उत्तराखंड में विवादित देवस्थानम बोर्ड पर सरकार की श्रद्धालुओं एवं तीर्थ पुरोहितों के साथ तकरार जारी है। केदारनाथ धाम में धरना दे रहे पुरोहितों को हटाने के प्रयास के बाद लंबे समय से धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में प्रदर्शन के रहे पुरोहितों ने आगामी 17 अगस्त से चार धाम से लेकर देहरादून तक, प्रदेश के हर हिस्से में तीर्थ पुरोहित आंदोलन करने की चेतावनी दी है। इसके बाद 16 सितंबर को तीर्थ पुरोहितों का सीएम आवास कूच का भी ऐलान किया है।
इस बीच सरकार को दबाव में लेने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने अब एक अनोखा तरीका निकालते हुए खून से पत्र लिखा है। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की माँग को लेकर लम्बे समय से धरने पर बैठे अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित युवा महासभा के उपाध्यक्ष और तीर्थ पुरोहित आचार्य सन्तोष त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने खून से पत्र लिखा है।
आचार्य ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की अपील के साथ पीएम मोदी से कहा:
“विगत दो वर्षों से उत्तराखंड के चारो धामों के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में धरना प्रदर्शन जारी है। हमारी आपसे आशा थी कि केदारनाथ का चहुमुखी विकास हो परन्तु पौरणिक समय से चली आ रही परम्पराओं से खिलवाड़ कर तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूक के साथ ज़बरदस्ती खिलवाड़ किया जा रहा है जो कि न्यायोचित नहीं है।”
पीएम मोदी को अपने खून से पत्र लिखने वाले केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने बताया कि सोमवार को पुलिस प्रशासन ने केदारनाथ मंदिर परिसर में धरना प्रदर्शन न करने का आदेश दिया है जिसके बाद से तीर्थ पुरोहित आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल के आदेश को आधार बनाकर केदारनाथ धाम में धरना-प्रदर्शन रोकने का दबाव बनाया जा रहा है।
आचार्य ने कहा कि वो किसी दबाव में नहीं आएँगे और अब सरकार से आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। इस बीच चारों धामों से जुड़े तमाम तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों ने न सिर्फ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है बल्कि 17 अगस्त से प्रदेश के एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी जारी कर दी है।
बता दें कि चारधामों सहित अन्य मठ मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड में शामिल करने से तीर्थ पुरोहित समाज में रोष है। पुरोहितों की मानें तो देवस्थानम बोर्ड के गठन होने से उनके अधिकारों को छीन लिया जाएगा, जिसके चलते केदारनाथ में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की माँग को लेकर तीर्थपुरोहितों धरना प्रदर्शन जारी है।
उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित चारधाम देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने की माँग को लेकर मंदिर के बाहर धरने पर बैठे हैं। उनकी जिद है कि जब तक देवस्थानम बोर्ड समाप्त नहीं किया जाएगा, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
बता दें कि उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं। जनवरी, 2020 में उत्तराखंड सरकार ने चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। इस बोर्ड के गठन के साथ ही चार धाम समेत राज्य के 51 अन्य मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के हाथों में आ गया था।
तीर्थ पुरोहितों कहना है कि बिना हक-हकूकधारी और तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए इस बोर्ड का गठन कर दिया गया। उन्होंने कहा कि बिना हक-हकूकधारियों को विश्वास में लिए बोर्ड का गठन किया जाना चार धामों के लिए विनाशकारी कदम है।
पुरोहितों ने आरोप लगाया कि केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से उदक कुंड समेत कई अन्य धार्मिक मंदिरों का पुनर्निर्माण करने के बजाय सरकार का ध्यान सिर्फ देवस्थानम बोर्ड के विस्तार में लगा है।
बोर्ड के खिलाफ पिछले साल बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन उनकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उनका कहना था कि देश में मस्जिद, चर्च समेत दूसरे धार्मिक स्थलों का नियंत्रण सरकार के पास नहीं हैं, तो फिर मंदिरों का नियंत्रण ही सरकार अपने पास क्यों रखना चाहती है?
पुजारियों और तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि अगर बोर्ड को जल्द से जल्द समाप्त नहीं किया गया तो इसके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसी देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने की माँग को लेकर केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित ने आचार्य सन्तोष त्रिवेदी ने खून से पत्र लिखा है।
आचार्य सन्तोष त्रिवेदी इससे पहले भी बोर्ड भंग करने के लिए अनोखे अंदाज में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। इससे पहले आचार्य सन्तोष त्रिवेदी ने 3 माह तक अर्धनग्न अवस्था मे बोर्ड को भंग करने की माँग के लिए धरना दिया था। तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी ने जून से केदारनाथ धाम में अर्धनग्न होकर आंदोलन शुरू किया था।
उन्होंने बर्फवारी और बारिश में भी अपना आंदोलन जारी रखा था। तबियत खराब होने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स में भर्ती किया गया, लेकिन दूसरे ही दिन त्रिवेणी घाट पर उन्होंने फिर अपना धरना शुरू कर दिया था। इसके कुछ दिन बाद वे अपने गाँव लौटे और किमाणा के पास भोलेश्वर महादेव मंदिर में धरना शुरू कर दिया था।
आचार्य संतोष त्रिवेदी ने करीब 111 दिनों तक देवस्थानम बोर्ड के ख़िलाफ़ आंदोलन जारी रखा था। बाद में उनसे मिलने चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाँई पहुँचे थे। वहाँ विकास परिषद उपाध्यक्ष ने लिखित आश्वासन दिया था गया कि उनकी माँगों पर जल्द अमल किया जाएगा।
विकास परिषद उपाध्यक्ष द्वारा लिखित आश्वासन देने के बाद आचार्य को ओंकारेश्वर मंदिर ले जाकर जूस पिलाया गया और उनका धरना समाप्त कराया गया था। माँगें पूरी न होने पर तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने जून में केदारनाथ मंदिर प्रांगण में ही शीर्षासन कर अपना विरोध जताना शुरू कर दिया था।
लगातार बारिश और तापमान माईनस तापमान में भी बारिश के बीच आचार्य सन्तोष त्रिवेदी ने कई दिनों तक हर रोज 20 से 25 मिनट तक शीर्षासन कर अपना विरोध दर्ज कराया था। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि आचार्य सन्तोष त्रिवेदी ने उनके हक के लिए जो लड़ाई लड़ी है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।