कोरोना महामारी से समस्त राष्ट्र जूझ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर पहली से भी अधिक भयानक रूप में उभर कर आई है तथा समस्त देशवासी अपने-अपने स्तर पर इस महामारी से सुरक्षित रहने का प्रयास कर रहे हैं। सरकारें एवं प्रशासन भी अधिक से अधिक कड़े नियमों का पालन करने का दबाव बना रही है और आवश्यक पाबंदियाँ भी लागू कर रही है।
ऐसे में, बहुत से ऐसे अवसर देखे गए, जब मजहब और धर्म के नाम पर लोगों ने इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया और महामारी के प्रसार में अपना ‘योगदान’ देते नजर आए। शुक्रवार के दिन भी अलविदा की नमाज पर कई जगहों पर समुदाय के लोग लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते देखे गए।
ऐसे ही कुछ उदाहरण बीते दिनों देश की विभिन्न चर्चों में भी देखने को मिले जहाँ ईसाई समुदाय के लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज कर भारी संख्या में भीड़ जुटाई।
ऐसी ही एक घटना मध्यप्रदेश के मानपुर से सामने आई, जहाँ पादरियों द्वारा खुर्दा कैथोलिक चर्च में लोगों का जमावड़ा लगाकर प्रार्थना का आयोजन कराया जा रहा था। घटना अप्रैल 30, 2021 की है जब पुलिस द्वारा फ़ादर सहित 17 लोगों को गिरफ्त में ले कर केस दर्ज किया गया।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा कर्फ्यू लगाया गया है। जिस का उल्लंघन करते हुए भी कैथोलिक चर्च द्वारा भीड़ लगाकर प्रार्थना की जा रही थी। पुलिस ने निसफ, प्रभाकर, क्रिस्तु, लियन, अखिल, एंटनी रोशन समेत कई लोगों के खिलाफ धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया है। सभी आरोपित मानपुर के ही रहने वाले हैं।
केरल, जिसे कई मीडिया संस्थानों द्वारा कोरोना को सबसे सही ढंग से नियंत्रित करने वाला राज्य और ‘केरल मॉडल’ घोषित किया जा रहा है, वहाँ से भी कोरोना नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए एक गैर जिम्मेदाराना घटना समक्ष आई है।
वामपंथी मीडिया कोरोना काल में केरल मॉडल के उदाहरण पेश करता नहीं थक रहा है परंतु धरातल पर देखा जाए तो केरल राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा।
केरल के मुन्नार जिले में चर्च ऑफ साउथ इंडिया (CSI) द्वारा 13 से 17 अप्रैल के बीच एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी न तो पुलिस एवं न ही प्रशासन से कोई अनुमति ली गई, यह घटना उस समय की है जब केरल में कोरोना संक्रमण का औसत दर 20% से अधिक चल रहा था।
इस सम्मेलन में शामिल होने वाले दो पादरी बीजूमोन (52) तथा रेव बी राज (43) की कोरोना से संक्रमण के कारण मृत्यु भी हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की परंतु सोचने का विषय यह है कि इतने कड़े माहौल में इस प्रकार के बड़े सम्मेलन के लिए ढिलाई क्यों दी गई।
पुलिस ने सीएसआई दक्षिण केरल के वार्षिक रिट्रीट के संबंध में पादरियों, चर्च के कर्मचारियों और सीएसआई क्राइस्ट चर्च के पदाधिकारियों सहित 480 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ये लोग पिछले महीने मुन्नार में कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए पाए गए थे।
इससे पूर्व, शुक्रवार को हैदराबाद से भी अलविदा जुम्मे की नमाज़ का विशाल स्तर पर आयोजन करवाने की घटना समक्ष आई थी। दूसरी ओर हरिद्वार में हो रहे कुंभ मेले की झूठी तस्वीरें शेयर करने वाले कई पत्रकारों द्वारा इस घटना पर पूर्ण रुप से चुप्पी साध ली गई।