पश्चिम बंगाल से उत्तर प्रदेश होते हुए सड़कें रोककर एवं बलपूर्वक नमाज़ पढ़ने की क्रिया दिल्ली तक पहुँच चुकी है। बीते शुक्रवार को दिल्ली के पीतमपुरा क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जिस पर स्थानीय लोगों द्वारा भारी आपत्ति जताई गई।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ एवं मीडिया में भी इसे लेकर काफी चर्चा हुई।
मामले को लेकर सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के नैरेटिव परोसे जा रहे थे, इसीलिए तथ्यात्मक जानकारी की तलाश में डू-पॉलिटिक्स की टीम पीतमपुरा क्षेत्र में ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए पहुँची। क्षेत्र में पहुँचकर यह स्पष्ट हो गया कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे झूठ नहीं हैं।
जुम्मे की नमाज के दिन एक बार फि बाहरी लोगों के जुटान को देखते हुए शुक्रवार सुबह से ही क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके साथ-साथ राज्य के बाहर से भी सुरक्षाकर्मी बुलाए गए हैं।
शुक्रवार सुबह डू-पॉलिटिक्स की टीम जब पीतमपुरा क्षेत्र में पहुँची तो यह पाया की कॉलोनी छावनी में बदल गई है। पीतमपुरा क्षेत्र के संबंधित ब्लॉक को बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया एवं भारी मात्रा में स्थानीय पुलिस तैनात कर दी गई। क्षेत्र में राज्य के बाहर से लाए गए सुरक्षा बल भी तैनात थे।
लगभग सभी सुरक्षाकर्मी बात करने से कतराते दिखे। क्षेत्र के थानाध्यक्ष भी मौके पर मौजूद थे। उनसे मामले के संबंधित जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘क्षेत्र में तो ऐसी कोई घटना नहीं हुई’।
थानाध्यक्ष से वायरल वीडियो के विषय में बात की गई तो उन्होंने मामले को टालते हुए पास ही चल रहे भंडारे की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ है, पकौड़ा खाइए और यहाँ से जाइए’।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि स्थानीय लोगों से पूछा गया कि क्या साधारण दिनों में भी क्षेत्र में इतना पुलिस बल तैनात रहता है? स्थानीय लोगों ने इस बात से इनकार कर दिया और कहा कि ये विवाद बढ़ने के वाद ही किया गया है।
स्थानीय थानाध्यक्ष के बयान और कॉलोनी की स्थिति एक दूसरे के दावों का खंडन करते साफ प्रतीत होते हैं। एक तरफ सुरक्षाबल कॉलोनी को छावनी बनाए बैठे हैं और दूसरी और थानाध्यक्ष कहते हैं कि क्षेत्र में कोई विवाद नहीं है।
जब डू-पॉलिटिक्स की टीम ने कॉलोनी के आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय लोगों से बातचीत करने का प्रयास किया तो यह सामने आया के आसपास के लोग भी मामले को लेकर बोलने से बच रहे हैं। सबका यही कहना है कि पास के ब्लॉक में कुछ सांप्रदायिक विवाद हुआ है, परंतु उन्हें कुछ ‘खास जानकारी’ नहीं। क्षेत्र के लोग इतने भयभीत हैं कि वो इस विषय पर आज बात करने से भी कतरा रहे हैं।
क्षेत्र के एक स्थानीय व्यक्ति ने वीडियो में बयान देने से तो इनकार कर दिया, परंतु उन्होंने स्वयं संपूर्ण मामले की जानकारी हमें दी। उन्होंने बताया कि लंबे समय से मुस्लिम समुदाय के लोग भारी मात्रा में हर शुक्रवार को इकट्ठे होकर क्षेत्र में नमाज पढ़ने आते थे।
उन्होंने हमें बताया कि कॉलोनी में ही मुस्लिम समुदाय का एक फ्लैट था, जिसमें दिल्ली के ही दूर-दराज़ के इलाकों से हर शुक्रवार भारी संख्या में लोग इकट्ठे हो जाते थे और नमाज पढ़ते थे।
कॉलोनी के पार्क और सड़क जाम कर नमाज पढ़ी जाती थी। शुक्रवार (30 जुलाई, 2021) को स्थानीय लोगों द्वारा इस मामले का संज्ञान लिया गया और विरोध जताया गया। कॉलोनी में ही पप्पू प्रधान के नाम से जाने जाने वाले राजकुमार ने मामले को लेकर आवाज उठाई एवं विरोध जताया। क्षेत्र में नमाज से पहले वज़ू करने के लिए सड़क पर ही हौदी (पानी की हौदी, जिसे नमाज अदा करने से पहले वजू के लिए इस्तेमाल किया जाता है) बना दी गई थी। इस पर भी स्थानीय लोगों को आपत्ति थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जो कॉलोनी में रहने वाले लोग हैं वे अपने घर में रहकर नमाज़ पढ़ें, इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं, परंतु क्षेत्र के बाहर से गैर-स्थानीय लोगों को बुलाना और सड़क एवं पार्क में नमाज पढ़ना किस प्रकार मान्य है?
स्थानीय व्यक्ति ने डू-पॉलिटिक्स के टीम से बातचीत करते हुए बताया कि क्षेत्र की पार्षद अंजू जैन का भी यही कहना है कि इलाके के बाहर के लोगों को बुलाकर इस प्रकार और क्या सड़कों पर एकत्रित होकर नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए।
लम्बे समय से चली आ रही इस समस्या से ग्रस्त इलाके के ही एक व्यक्ति ने हमें बताया कि शुक्रवार होने के कारण ही कॉलोनी में भारी पुलिस बल सुबह से ही तैनात कर दिया गया था ताकि पुनः बाहर के लोगों को बुलाकर नमाज न पढ़ी जाए एवं क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।
लोगों का यह भी कहना है कि जिस तरह इंद्रलोक इत्यादि क्षेत्रों में जुम्मे के दिन सड़क रोक कर नमाज पढ़ी जाती है यहाँ भी उसी प्रकार धीरे-धीरे ऐसा मॉडल तैयार करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी कारण स्थानीय लोगों ने इस कृत्य पर आपत्ति जताई है।
बता दें कि वायरल वीडियो में संबंधित ब्लॉक में व्यक्ति नमाज पढ़ाते देखा जा सकता है एवं वह स्थानीय लोगों द्वारा आपत्ति किए जाने पर कह रहा था कि अगर उन्हें इस बात से आपत्ति है तो वह मामले को लेकर नोटिस दें। लोगों का कहना था कि कॉलोनी का निवासी ना होने के बाद भी यह व्यक्ति नमाज का विरोध किए जाने पर आक्रामक स्वभाव में नोटिस की माँग कर रहा था।
स्थानीय लोगों का कहना था कि देर रात तक कॉलोनी में इसी प्रकार की घटनाएँ चलती हैं, बहुत से लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है, जिसके कारण उन्हें भी बाहर निकलना एवं कॉलोनी में रह पाना भी दूभर हो रहा है।
दिल्ली पुलिस और प्रशासन का ऐसे गंभीर मामलों में इस प्रकार का रवैया कोई नई बात नहीं है। गत वर्ष भी शाहीन बाग में इसी प्रकार प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली थी। महीनों तक शाहीन बाग के स्थानीय समुदाय विशेष की आबादी ने एक प्रमुख हाईवे को घेर रखा था, जिस पर प्रशासन बिल्कुल शांत था और दिल्ली पुलिस भी कुछ विशेष ध्यान नहीं दे रही थी। उनके द्वारा इसी प्रकार चीजों को टालने का पूर्ण प्रयास किया जा रहा था जो कि आगे चलकर भीषण हिंदू विरोधी दंगा बना।
किसान आंदोलन को भी प्रशासन एवं पुलिस ने छोटा मोटा विरोध मानकर छोड़ दिया था जो कि अब लगभग एक वर्ष से केंद्र सरकार एवं सुरक्षाबलों सभी के गले का काँटा बना हुआ है।
कुछ दिनों पहले राजधानी दिल्ली का ही एक अन्य वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति फ्लाईओवर पर बनी मजार को लेकर सवाल उठा रहा था उसका कहना था कि जब फ्लाईओवर कुछ ही वर्षों पूर्व बना है तो उस पर किसी सदियों पहले मृत व्यक्ति की मज़ार कैसे हो सकती है।
इस मामले में भी दिल्ली पुलिस के एक अफसर, जो स्वयं को आदर्श नगर का एसएचओ कह रहे थे, एवं अपना नाम सीपी भारद्वाज बता रहे थे, उन्होंने मज़ार को लेकर सवाल खड़े कर रहे व्यक्ति पर ही चिल्लाना प्रारंभ कर दिया और कहा कि अगर उन्हें दिक्कत है तो कानूनी कार्रवाई करें। इसके उपरांत जब उस व्यक्ति ने उनसे चाँदनी चौक क्षेत्र में टूटे मंदिर के विषय में कुछ बोलने को कहा तो उन्होंने उसी व्यक्ति के साथ धक्का-मुक्की प्रारंभ कर दी।