सोशल मीडिया साइट ट्विटर को कड़ी शब्दावली में चेतावनी देने के उपरांत केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक बार पुनः एक साक्षात्कार के दौरान ट्विटर तथा उसके कथित फैक्ट चेकरों को जमकर लताड़ा। उन्होंने कई तरह के सवाल उठाए जिसमें से मुख्य था कि इन फैक्ट चेकरों को कंपनी द्वारा किस आधार पर 130 करोड़ लोगों के विचारों का आकलन करने के लिए रखा जाता है?
सोशल मीडिया साइट ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच जबरदस्त खींचतान जारी है। जहाँ नए आईटी कानूनों को लेकर सरकार गंभीर प्रतीत होती है, वहीं ट्विटर जैसी कुछ सोशल मीडिया साइट इन पर अमल करने से आनाकानी कर रही हैं। हालाँकि, अधिकतर सोशल मीडिया कम्पनियाँ इन पर अपनी स्वीकृति दे चुकी हैं, परंतु ट्विटर केंद्र सरकार से लगातार मामले को लेकर वाद-विवाद में लगा है।
केवल दो दिन पूर्व ही सरकार द्वारा जारी की गई एक प्रेस वार्ता में कड़े शब्दों में लताड़े जाने के बाद, शनिवार (29 मई, 2021) को आजतक के साथ बातचीत करते हुए इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर पुनः कुछ कड़े सवाल उठाए। उन्होंने सबसे पहले ट्विटर जैसी कंपनियों द्वारा रखे गए तथाकथित फैक्ट चेकरों पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी को पता नहीं कि किस आधार पर यह फैक्ट चेकर चुने जाते हैं, जो 130 करोड़ की आबादी के विचारों का आकलन करते हैं और बताते हैं कि क्या सही है और क्या गलत।
मंत्री जी ने कहा कि इन तथाकथित फैक्ट चैकरों में से कई का केवल एक ही एजेंडा है, प्रधानमंत्री मोदी से घृणा करना। ये लोग प्रधानमंत्री की केवल आलोचना नहीं अपितु उनसे घृणा के प्रमाण पेश करते हैं।
प्रसाद ने यह भी कहा इन सब में ऐसे लोगों का पैसा लगा हुआ है जिनका मुख्य मकसद ही है भारत को तोड़ना।
इसी कारण सरकार को इन सब पर नए आईटी कानूनों के तहत नज़र रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ये कम्पनियाँ कैसे कार्य करती हैं यह उनका अपना अधिकार है, परन्तु ये क्या करती हैं यह देश के सामने साफ होने चाहिए।
इन कंपनियों द्वारा भारत में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंडों को लेकर भी मंत्री जी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए ट्वीट किया।
बता दें कि दो दिन पूर्व ही इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय द्वारा एक प्रेस रिलीज़ में कड़े शब्दों में ट्विटर से कहा गया था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र का पाठ न पढ़ाएँ।
आईटी मंत्री ने वार्ता के दौरान इस बात को भी पुनः दोहराया कि अमेरिका में मैं बैठी केवल एक मुनाफा कमाने वाली कंपनी को भारत को लोकतंत्र की नसीहत देने का कोई अधिकार नहीं।