उज्जैन के महाकालेश्वर परिसर में खुदाई के दौरान प्राचीन शिवलिंग और भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। पौने 2 फीट ऊँचे शिवलिंग और मूर्ति के 9वीं-10वीं शताब्दी के बीच का होने का अनुमान है। मंदिर से ही खुदाई में पुरातत्व अधिकारियों को करीब 5वीं शताब्दी, यानी 1700 से 2100 साल पुरानी ईटें भी मिली हैं।
उज्जैन में पिछले एक साल से महाकालेश्वर मंदिर परिसर में विस्तारीकरण के चलते खुदाई का काम चल रहा है। खुदाई के दौरान मंगलवार (10 अगस्त, 2021) को एक शिवलिंग और बुधवार (11 अगस्त, 2021) को सुबह भगवान विष्णु की मूर्ति मिली।
शिवलिंग को बड़ी ही सावधानी से साथ पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में भूमि से निकाला जा रहा है। प्राचीन शिवलिंग और भगवान विष्णु की प्रतिमा के मिलने की सूचना मिलने पर पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम बुधवार की सुबह उज्जैन पहुँच गई है।
ज्ञात हो कि महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत मंदिर के आगे वाले भाग की खुदाई चल रही है। इस दौरान वहाँ से 11वीं शताब्दी के मंदिर के पुरावशेष निकल रहे हैं। खुदाई में अब तक मंदिर का चबूतरा, गणेश प्रतिमा, शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन के साथ ही ब्लैक बेसाल्ट से बना विशाल परिक्रमा पथ निकल चुका है।
इसी दौरान वहाँ से खुदाई में अद्भुत शिवलिंग निकला है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जलाधारी शिवलिंग 9वीं से 10वीं शताब्दी के समय का है। विष्णु की मूर्ति भी दसवीं शताब्दी की है। मंदिर परिसर में पहले मिले परमारकालीन मंदिर के शिवलिंग की शैली से यह शिवलिंग अलग है, क्योंकि परमारकालीन मंदिर 11वीं शताब्दी का है।
विस्तारीकरण के लिए चल रही खुदाई बारिश के चलते दो दिनों से बन्द थी। लगातार पानी गिरने से मिट्टी धंस गई थी। मंगलवार को आगे की खुदाई के लिए पहुँचे मजदूरों को मिट्टी धसकने से एक बड़े शिवलिंग का ऊपरी भाग जमीन में दिखाई दिया। इसके बाद मन्दिर प्रशासन को जानकारी दी गई।
मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को जब शिवलिंग की सूचना मिली तो उन्होंने खुदाई वाले स्थान पर पहुँचकर शिवलिंग को चादर से ढककर पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी दुर्गेंद्र सिंह जोधा को जानकारी दी। इसके बाद सावधानी से धीरे-धीरे इसकी खुदाई की गई तो शिवलिंग की पूरी जलाधारी सामने आ गई।
शिवलिंग की लंबाई करीब पौने दो फीट है। शिवलिंग की जलाधारी ऊँचाई में इतनी बड़ी है कि उसके अंदर ही पूरा शिवलिंग पूरा समाहित है। खुदाई में मिला शिवलिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से अलग है क्योंकि उसकी जलाधारी उत्तर मुखी है।
30 मई को महाकाल मंदिर के आगे वाले भाग में खुदाई के दौरान माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड के अवशेष मिले थे। फिलहाल पुरातत्व विभाग अवशेष खंडों पर शोध कर रहा है। माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड के अवशेष मिलने की जानकारी संस्कृति विभाग को दे दी गई थी
जानकारी मिलते ही संस्कृति विभाग ने उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग, भोपाल की चार सदस्यीय एक टीम महाकाल मंदिर के लिए भेज दी थी। महाकाल मंदिर, उज्जैन पहुँची चार सदस्यों की टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरीक्षण किया।
इसके अलावा महाकाल मंदिर में खुदाई के दौरान मई में 11वीं शताब्दी का परमारकालीन मंदिर का ढाँचा सामने आया था। खुदाई के बाद मंदिर का पूरा स्ट्रक्चर साफ दिखाई देने लगा था। मंदिर परमारकालीन वास्तुकला से निर्मित था, जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था।
टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया था कि मंदिर के उत्तरी भाग में 11वीं-12वीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है। वहीं, दक्षिण की ओर चार मीटर नीचे एक दीवार मिली है, जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है।
आशंका जताई जा रही है कि भूमि के नीचे दबे मन्दिर को उस समय मुस्लिम आक्रांता इल्तुमिश ने ध्वस्त किया था।