मुरादाबाद में '81 हिंदू परिवारों के पलायन' वाली खबर पर पुलिस ने क्या कहा?

03 अगस्त, 2021
मुरादाबाद पुलिस का कहना है कि लोगों को घर छोड़ने को मजबूर नहीं किया जा रहा है

कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर के नूरपुर गाँव में हिंदुओं के घरों पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिखा पाया गया था। पुनः ऐसा ही एक मामला अब उत्तर प्रदेश के ही मुरादाबाद ज़िले से सामने आया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस जारी है। 

81 परिवारों ने लगाए ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर?

कई समाचार पत्रों में यह दावा किया गया कि मुरादाबाद के लाजपत नगर क्षेत्र के शिव विहार कॉलोनी में 81 हिंदू परिवारों ने अपने घरों के आगे ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगा दिए। बताया जा रहा है कि कॉलोनी के लोगों ने इसका कारण यह बताया कि कॉलोनी के दोनों मुख्य द्वारों पर बने मकानों को समुदाय विशेष के लोगों ने अत्यधिक कीमत देकर खरीद लिया है।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जहाँ हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक हैं, वहाँ बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय द्वारा क्षेत्र में उपद्रव किए जाने के कारण हिंदू समुदाय का भारी पलायन देखा गया है। कैराना और मेरठ के आस पास के क्षेत्रों में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय भयभीत होकर पलायन कर दूसरे क्षेत्रों में बस चुका है। राज्य के कई शहरों में कई बार इस प्रकार के मामले सामने आते रहे हैं।

मुरादाबाद पुलिस ने बताया ‘फ़ेक’

इस खबर के सोशल मीडिया पर मुद्दा बनते ही मुरादाबाद पुलिस ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि हिन्दुओं के पलायन की बात बेबुनियाद है और कॉलोनी में रह रहे लोगों को यदि कोई भी समस्या आती है तो पुलिस उनके साथ हर समय खड़ी है।

पुलिस ने कहा है कि इस कॉलोनी के लोग चाहते हैं कि उनकी समहति के बिना किसी को भी मकान न बेचा जाए। हालाँकि, पुलिस का कहना है कि अपना मकान बेचना निजी स्वतंत्रता के दायरे में आता है और इसके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है।

मुरादाबाद पुलिस ने ट्वीट करते हुए बताया कि मुरादाबाद के शिव मंदिर कॉलोनी के लोग पलायन नहीं कर रहे हैं बल्कि उनकी माँग है कि कॉलोनी के घरों को बिना उनकी सहमति के किसी बाहरी व्यक्ति को न बेचा जाए।

इससे एक दिन पूर्व, मीडिया द्वारा दावा किया जा रहा था कि पीड़ित परिवारों का कहना है कि कॉलोनी में रहने वाले अधिकतर लोग शाकाहारी हैं, और समुदाय विशेष के लोग कॉलोनी में माँसाहार का सेवन करेंगे एवं उसके अवशेष कॉलोनी में इधर-उधर फैलाएँगे, जिसके कारण क्षेत्र में गंदगी होगी।


कथित तौर पर, कॉलोनी निवासियों ने बताया कि शिव विहार में एक मकान विशेष समुदाय के व्यक्ति द्वारा बड़ी कीमत देकर खरीद लिया गया है। कॉलोनी के लोगों ने खरीदे गए मकान की रजिस्ट्री कैंसिल कराने की माँग की और इसी विरोध में उन्होंने सामूहिक पलायन का रास्ता अपनाते हुए पलायन के पोस्टर एवं बैनर लगाए।

वायरस पोस्ट व खबरों में दावा किया जा रहा था कॉलोनी में रहने वालों का कहना है कि वह कॉलोनी को साफ सुथरा रखते हैं एवं स्वयं भी साफ सफाई से रहते हैं। लोगों की आपत्ति है कि समुदाय विशेष के लोग उनकी तरह नहीं रह सकते, जिसके कारण कॉलोनी में गंदगी होगी। 

क्षेत्र के लोगों ने सरकार और प्रशासन से भी यह अपील की है कि भारी दामों पर खरीदे गए मकानों की रजिस्ट्री कैंसिल करें नहीं तो कॉलोनी में रहने वाले लोग अपने मकानों को बेचकर पलायन करने के लिए विवश हो जाएँगे।

बताया जा रहा है कि कॉलोनी में 50 लाख रुपए के मकान को 3 करोड़ रुपए तक की कीमत देकर खरीदा जा रहा है। स्थानीय लोगों की यह भी माँग है कि सरकार इस बात की जाँच करे कि इतना पैसा कहाँ से आ रहा है।

वहीं, मुरादाबाद में भाजपा विधायक ने आरोप लगाया है कि एक साजिश के तहत दोगुनी-तीनगुनी कीमत देकर मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दुओं की कॉलोनी में मकान खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो ऐसा नहीं होने देंगे। कॉलोनी के लगभग 81 परिवार ने अपने घरों के बाहर मकान बेचकर सामूहिक पलायन करने वाले पोस्टर लगाए हैं।

पलायन करने की बात पर स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वे अपने मकान अलग-अलग बेचेंगे तो उन्हें कीमत कम मिलेगी, इसलिए उन्होंने सामूहिक रूप से बैनर लगाकर कॉलोनी के कई मकान साथ बेचने का निर्णय लिया है।

नूरपुर, बरेली में भी आए थे मामले

बता दें कि लगभग 2 माह पूर्व, जून में अलीगढ़ के दलित बाहुल्य नूरपुर गाँव से भी इसी प्रकार की खबर आई थी। यहाँ दलितों की एक बारात पर मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिद से पथराव किया गया था और बरात चढ़ने से रोकी गई थी। इसी के चलते भयभीत गाँव वालों ने मकान बेचकर पलायन करने का फैसला किया था और घरों के बाहर ‘यह घर बिकाऊ है’ लिख दिया था।

इसके कुछ समय बाद बरेली के कई घरों पर भी समुदाय विशेष द्वारा मचाए गए उपद्रव के कारण पलायन संबंधित नारे लिखे गए थे। हालाँकि पुलिस ने इस मामले को आपसी रंजिश का नाम दिया था और कहा था कि मामले को साम्प्रदायिक रंग देकर गलत तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है।



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