पूर्व समाजवादी पार्टी नेता एवं राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में शाहिद सिद्दीकी ये कहते सुने जा सकते हैं कि उन्होंने भारी मात्रा में सरकारी पैसे का मदरसों और मस्जिदों की फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया। वे अपने इस कृत्य को वीडियो में गर्व से बताते देखे जा सकते हैं।
विभिन्न राज्यों में सरकारी फंड द्वारा कई अर्चना स्थलों, जैसे- मस्जिद एवं चर्च इत्यादि का निर्माण एवं रखरखाव किया जाता है। दक्षिण भारत में यह कार्यप्रणाली एक लंबे समय से चली आ रही है।
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य, जहाँ मुस्लिम समुदाय की आबादी भारी मात्रा में मौजूद है, वहाँ भी सरकारी धन मदरसों एवं मस्जिदों में लगाया जाता है। कई राजनीतिक पार्टियाँ समुदाय विशेष के तुष्टीकरण के लिए इस प्रकार की चालें चलती हैं।
पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी लंबे समय से विभिन्न पार्टियों के सदस्य रहे हैं। ये कॉन्ग्रेस एवं रालोद के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के भी प्रमुख नेता रहे हैं। शाहिद ‘नई दुनिया’ नामक उर्दू अखबार के मुख्य एडिटर भी हैं।
शाहिद सिद्दीकी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने सांसद कोटे यानी, ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS) के सरकारी धन को मस्जिदों और मदरसों में लगाया।
शाहिद यह बिना किसी खेद के गर्व से वीडियो में बताते दिख रहे हैं। यह वीडियो ट्विटर पर खासा वायरल हो रहा है। वीडियो में शाहिद सिद्दीकी ने कहा:
“मेरा जितना फंड था, उसमें से एक-एक पैसा मैंने मदरसों को, स्कूल और कॉलेजों को दिया। सहारनपुर में आपको कोई मदरसा ऐसा नहीं मिलेगा जहाँ मैंने पैसा नहीं दिया। मुज़फ्फरनगर, महमूदिया में मैंने सरकारी फंड से करीब एक करोड़ रुपया दिया। मौलाना निसार साहब को मैंने कम से कम एक करोड़ रुपया दिया था।”
शाहिद आगे कहते हैं कि उन्होंने किसी मस्जिद या मदरसे से इसके बदले कुछ नहीं लिया। शाहिद इसे अल्लाह के साथ जवाबदेही से जोड़ते हुए कहते हैं कि जब अल्लाह उनसे पूछेगा कि जिन लोगों ने तुम्हें चुन कर भेजा तुमने उनके लिए क्या किया, तो फिर वे क्या कहेंगे?
बता दें कि सरकारी धन का इस प्रकार किसी पंथ विशेष को देखते हुए प्रयोग नहीं किया जाता है। यह धन सांसद एवं विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए दिया जाता है।
शाहिद सिद्दीकी जैसे नेता इस पैसे से मुस्लिम तुष्टिकरण एवं अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के वोट हासिल करने के लिए सरकारी धन को अर्चना स्थलों एवं मदरसों के लिए प्रयोग करते हैं।