सोशल मीडिया पर पिछले 24 घंटे से ‘बॉयकॉट मिंत्रा’ (#BoycottMyntra) ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर कई लोग एक तस्वीर के साथ ई-कॉमर्स शॉपिंग वेबसाइट ‘मिंत्रा’ के बहिष्कार की माँग कर रहे हैं। साथ ही, मिंत्रा मोबाइल ऐप्लिकेशन डिलिट करने की अपील भी कर रहे हैं।
ट्विटर यूजर @Chopdasaab ने लिखा, “हैलो @myntra @MyntraSupport – आपके ऐप को नेटफ्लिक्स की तरह अनइंस्टॉल कर दिया है। हम आपसे कभी कोई खरीदारी नहीं करेंगे और ऐसा करने के लिए सभी से कहेंगे, ये काफी आसान है।”
सूरज लिखते हैं, “हमें अपनी आस्था का मज़ाक उड़ाकर कर, व्यापार करने के इन विचारों को नष्ट कर देना चाहिए और ऐसी बकवास करने वालों पर जोरदार थप्पड़ मारना चाहिए। ये इनका आलोचना सुनकर, प्रचार करने का आसान तरीका है।”
निखिल पालीवाल लिखते हैं, “हिंदुत्व आपके आने से पहले भी यहाँ था और आपके जाने के बाद यहाँ रहेगा.. हिंदू आज जागे हुए हैं।”
ये ट्रेंड और ट्रेंड के साथ वायरल तस्वीर आपने भी देखी होगी। लेकिन इस तस्वीर में ऐसा क्या है कि लोग मिंत्रा से इस कदर नाराज हैं?
दरअसल तस्वीर में महाभारत की सभा पर्व में हुए द्रोपदी के चीरहरण दृश्य का इस्तेमाल किया गया है। तस्वीर में दिखाया गया है कि दुशासन द्रौपदी के वस्त्र उतार रहा है और भगवान श्रीकृष्ण मोबाइल फोन में ‘Myntra’ का ऐप खोलकर उसमें लंबी साड़ी ढूँढ रहे हैं।
इसी तस्वीर को लेकर यह आरोप लगाया जा रहा है कि ‘मिंत्रा’ ने भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी का मजाक बनाया है। जिसके बाद सोशल मीडिया पर मौजूद एक बड़े वर्ग ने लोगों से Myntra के बहिष्कार की अपील की है।
आपको ये जानकर ये हैरानी होगी कि ये पूरा मामला करीब 5 साल पहले का और उस वक्त भी मिंत्रा के बहिष्कार का ऐसा ही ट्रेंड चला था। उस वक्त मिंत्रा ने यह कहते हुए माफी भी माँफी थी कि उसका इन तस्वीरों से कोई लेना देना नहीं है।
दरअसल एक विज्ञापन वेबसाइट ‘स्क्रॉल ड्रॉल’ (ScrollDoll) ने ऐसी ही कई तस्वीरें बनाकर अपने ‘लिस्टिकल’ में इस्तेमाल कीं थी। लिस्टिकल विज्ञापन कम्पनियों, न्यूज़ वेबसाईट और ब्लॉगर्स द्वारा अपनी बात सरल शब्दों या तस्वीरों की श्रंखला के माध्यम से कहने का एक जरिया है।
इस लिस्टिकल में स्क्रॉलडॉल ने अलग-अलग कम्पनियों के लोगो के साथ यह दिखाने की कोशिश की थी कि भगवान भी स्मार्ट फोन के एडिक्ट हो गए हैं। अलग-अलग तस्वीरों में हिन्दुओं के आराध्य भगवान हनुमान लंका दहन करते हुए सेल्फी लेते दिख रहे हैं, भगवान गणेश जोमैटो पर मोदक ऑर्डर कर रहे हैं और नारद मुनि यात्रा ऐप के जरिए फ्लाइट की टिकट बुक कर रहे हैं।
फरवरी, 2016 में ये लिस्टिकल पब्लिश हुआ था, जिसके बाद चीरहरण वाली तस्वीर को लेकर बवाल हो गया था और मिंत्रा पर हिन्दू धर्म के अपमान का आरोप लगाते हुए ‘बॉयकॉट मिंत्रा’ का अभियान चलाया गया था।
अब 5 साल बाद रक्षाबंधन के दिन फिर से ये मामला उछल गया और लोग फिर से मिंत्रा के बॉयकॉट की माँग कर रहे हैं। हालाँकि, मिंत्रा ने वर्ष 2016 में हुए बवाल के बाद ही ट्विटर पर ये सफाई दी थी कि इस मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
उसका कहना था कि ना तो मिंत्रा ने ये आर्टवर्क बनाया है और ना ही इसे प्रमोट किया है। मिंत्रा का कहना था कि स्क्रॉलडॉल ने बिना उनसे परमिशन लिए उनके लोगो को इस्तेमाल किया।
अगस्त, 2016 में स्क्रॉलडॉल (ScrollDroll) ने भी ट्वीट करके क्षमा माँगते हुए कहा था कि इस आर्टवर्क के लिए उनकी कंपनी उत्तरदायी नहीं है और मिंत्रा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
मामला भले ही 5 साल पुराना हो मगर जिस तरह से लम्बे समय से हिन्दू धर्म को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर निशाना बनाकर अपमानित करने का ट्रेंड चल रहा है, लोगों का आक्रोश एकदम जायज है।
‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का नारा देने वाला कथित प्रोग्रेसिव लिबरल समाज अभिव्यक्ति की फ्रीडम को सिर्फ हिन्दुओं की आस्था पर हमले तक ही सीमित रखते हैं। ये हमेशा नए अंदाज में हिंदुत्व को टारगेट करके हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचाने का काम करते रहे हैं।
ये लोग लिबरल्स समाज के ठेकेदार हैं। यही है इनकी तरक्की, यही इनका ‘सेकुलरिज़्म’ इनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है, जो हिंदुओं को चिढ़ाने और अपमानित करने से ज्यादा ना कल सोचता था, ना आज सोचता है, ना कल सोचेगा।
इन्हें येन केन प्रकारेण ये समझाना होगा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब ये नहीं है कि सब्ज़ी में नमक कम होने पर बेटा अपनी माँ का मज़ाक उड़ाए या उनको को गंदी-गंदी गालियाँ देने लगे और ‘ब्रॉड माइंड’ का मतलब ये नही हुआ कि इंसान अपनी माँ की ही अश्लील तस्वीर अपने ज़ेहन में बनाए।