मेरठ: NIA की छापेमारी में खालिस्तानियों को हथियार मुहैया कराने वाले आसिफ अली, कमलजीत गिरफ्तार

12 जुलाई, 2021
एनआईए ने किया वसूली गिरोह का भंडाफोड़, मोहम्मद आसिफ गिरफ्तार

एनआईए ने मेरठ में कई जगह छापे मारने के बाद मोहम्मद आसिफ अली नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इस पर अवैध रूप से खालिस्तानियों को हथियार पहुँचाने का आरोप है। पुलिस इस मामले से जुड़े कुछ आरोपितों को पहले भी गिरफ्तार कर चुकी है।

जहाँ एक ओर भारत को अपने पड़ोसी देशों से सीमाओं पर खतरा है, उसी प्रकार भारत में पनप रहे कई खालिस्तानी एवं इस्लामी गिरोह भी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक भारी खतरा बने हुए हैं। ये गिरोह देश के भीतर रहते हुए कई अवैध गतिविधियों जैसे लूटपाट, अपहरण एवं वसूली जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं। एनआईए ने ऐसे ही गंभीर मामले की जाँच करते हुए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की एवं कई आरोपित गिरफ्तार किए हैं।

आसिफ के पास भी मिले अवैध हथियार

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) द्वारा रविवार (11 जुलाई, 2021) को विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई, इसमें एनआईए ने मेरठ से मोहम्मद आसिफ अली नामक युवक को गिरफ्तार किया है।

मोहम्मद आसिफ अली के पास से 0.315 बोर की दो देसी पिस्तौल एवं गोलियाँ बरामद की गईं हैं। साथ ही, एनआईए ने आसिफ के पास से एक मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड तथा एक मेमोरी कार्ड भी ज़ब्त किया है।

आसिफ की उम्र 32 साल बताई जा रही है और उस पर आरोप है कि वह वसूली के मामले में लिप्त था। इस मामले में कई खालिस्तानी आतंकवादियों के भी नाम सामने आए हैं। 


विदेश से चला रहे वसूली का धंधा

एनआईए ने मामले में अर्शदीप सिंह एवं रमनदीप सिंह नामक दो लोगों का भी नाम लिया है। उन्होंने बताया कि इनके द्वारा एक गिरोह की रचना कर पंजाब के कई व्यापारियों एवं अमीर हस्तियों से वसूली का काम किया जा रहा था। ये दोनों व्यक्ति ही विदेश में बसे हैं एवं वहीं से ही यह अवैध कारोबार चलाते हैं। 

मामले में कमलजीत शर्मा नामक एक व्यक्ति को भी धरा गया है। एनआईए ने बताया कि गगनदीप सिंह नामक व्यक्ति आसिफ से हथियार लेकर आगे कमलजीत शर्मा को सप्लाई किया करता था।

एनआईए ने रविवार को मेरठ में ही छापामारी के दौरान परमजीत सिंह नामक व्यक्ति को भी निशाने पर लिया, जिसे भी मामले से जुड़ा बताया जा रहा है। इसके पास ₹9 लाख नकदी, मोबाइल फोन तथा विभिन्न अन्य दस्तावेज़ प्राप्त हुए हैं।

एनआईए ने मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा:

“इन हथियारों का इस्तेमाल आस्था आधारित लक्षित हत्याओं में और पंजाब के व्यापारियों को धमकाने और जबरन वसूली के लिए किया गया था।”



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