10 साल नागपुर में रहा अब्दुल तालिबान में शामिल, वायरल फोटो से हुई पहचान

21 अगस्त, 2021
संदिग्ध तालिबानी आतंकी नूर मोहम्मद

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कई तालिबानी लड़ाकों की तस्वीरें वायरल हो रही है। ऐसे ही एल तालिबानी लड़ाके की तस्वीर वायरल होने के बाद से भारत मे सनसनी मची हुई है। दावा किया जा रहा है कि वायरल तस्वीर में जो तालिबानी लड़ाका दिख रहा है, वो भारत में 10 साल तो अवैध रूप से रह चुका है।

एक तालिबानी लड़ाके की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसको को लेकर दावा किया गया जा रहा है कि तस्वीर में जो शख्स बंदूक लिए नजर आ रहा है, वो कुछ दिन पहले तक भारत के नागपुर शहर में रह रहा था।

नागपुर में रह रहे इस तालिबानी लड़ाके को इसी साल जून में अफगानिस्तान भेजा गया था। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान जाने के बाद वह तालिबान में शामिल हुआ है। नूर मोहम्मद उर्फ अब्दुल हक नाम का यह शख्स मूल से रूप से अफगानिस्तान का था।

वह पिछले 10 साल से भारत में बिना दस्तावेजों के अवैध रूप से रह रहा था। गुप्त सूचना के बाद भारतीय अधिकारियों ने उसे नागपुर से गिरफ्तार कर कुछ दिनों की जाँच के बाद, वापस काबुल भेज दिया था, जहाँ वह तालिबान में शामिल हो गया।

नागपुर पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि नागपुर में गैरकानूनी तौर पर रह रहे एक अफगानी शख्स को काबुल डिपोर्ट किया था, लेकिन वायरल फोटो में नजर आ रहा शख्स नूर मोहम्मद ही है, इसकी पुलिस पुष्टि नहीं करती है।

आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की गुप्त सूचना के बाद पुलिस ने भेजा था वापस काबुल

पुलिस के मुताबिक, तस्वीर में दिख रहा नूर मोहम्मद उर्फ ​​अब्दुल हक 10 साल से नागपुर में रह रहा था। 16 जून, 2021 को नागपुर पुलिस ने उसे अवैध रूप से भारत मे रहने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के संज्ञान में उसके आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी आई थी।

पुलिस ने गुप्त सूचना संज्ञान में आते ही उसकी गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी। वह शहर के दिघोरी इलाके में एक मकान किराए पर लेकर रह रहा था। नागपुर पुलिस ने कुछ दिनों की जांच के बाद उसे 16 जून को गिरफ्तार कर लिया और फिर 23 जून, 2021 को वापस अफगानिस्तान भेज दिया।

पुलिस को नूर मोहम्मद के शरीर में गोलियों के निशान मिले थे। उसके पास से तालिबान से जुड़े कई वीडियो भी बरामद हुए थे। बंदूक थामे उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि वह भारत से निर्वासन के बाद तालिबान में शामिल हो गया था।

पर्यटक वीजा पर आया था नागपुर

इससे पहले जाँच के दौरान पुलिस ने पाया था कि नूर मोहम्मद साल 2010 में छः महीने के पर्यटक वीजा पर नागपुर आया था। इसके बाद उसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में शरणार्थी का दर्जा देने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसका आवेदन खारिज हो गया था।

तब से नूर मोहम्मद नागपुर में अवैध रूप से रह रहा था। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि नूर मोहम्मद का असली नाम अब्दुल हक है और उसका भाई तालिबान के साथ काम करता था। पिछले साल नूर ने धारदार हथियार के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया था।

तालिबान के शीर्ष नेता का भी है भारत से सम्बन्ध

काबुल में कब्जा करने के बाद अब तालिबान अंतरिम सरकार गठित करने जा रहा है और सम्भावना कि शीर्ष तालिबान नेताओं में शुमार 60 वर्षीय शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई (Sher Mohammad Abbas Stanekzai) को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

शेर मोहम्मद का भी भारत से सम्बन्ध है, दरअसल उसने भारत की ‘इंडियन मिलिट्री एकेडमी’ (IMA) से 1982 के बैच में ट्रेनिंग ली है। शेर मोहम्मद सीधी भर्ती के जरिए अफगान सेना से जुड़ा था। लेफ्टिनेंट के रूप में अफगान नेशनल आर्मी में शामिल होने से पहले उसने डेढ़ साल के लिए इंडियन मिलिट्री एकेडमी में अपना प्री-कमीशन प्रशिक्षण पूरा किया था।

वह भगत बटालियन की केरेन कंपनी (Bhagat Battalion’s Keren Company) के 45 कैडेटों के साथ ट्रेनिंग के लिए भारत आया था। उस वक्त वह महज 20 वर्ष का था। इसके बाद साल 1996 में शेर मोहम्मद अफगान सेना छोड़ कर तालिबान में शामिल हो गया था और तालिबान की ओर से वह अमेरिका द्वारा तालिबान को राजनयिक मान्यता देने के लिए क्लिंटन प्रशासन के साथ बातचीत करने लगे लगा।

1997 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के एक लेख में कहा गया है कि तालिबान शासन में ‘कार्यवाहक विदेश मंत्री’ शेर मोहम्मद ने भारत के ही एक कॉलेज में अंग्रेजी सीखी थी। भारत में सीखी गई अंग्रेजी कौशल और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण की बदौलत वह तालिबान संगठन में महत्वपूर्ण स्थिति में पहुँच गया। बाद के वर्षों में, वह तालिबान के प्रमुख वार्ताकारों में से एक बन गया।

जब कट्टरपंथी, आतंकी समूह ने दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय स्थापित किया तो शेर मोहम्मद ने तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर के साथ अफगान सरकार से वार्ता का नेतृत्व किया था और आज वह तालिबान के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है।

ऐसा भी कहा जाता है कि शेर मोहम्मद अक्सर अपने भाषणों में IMA से मिली ट्रेनिंग का जिक्र करते हैं। तालिबान के सभी नेताओं में शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई को ज्यादा समझदार माना जाता है क्योंकि ज्यादातर नेताओं ने अफगानिस्तान या पाकिस्तान के मदरसों से ही पढ़ाई की है।



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