बच्ची की हत्या से पहले बलात्कार होने के नहीं मिले प्रमाण: अदालत में दिल्ली पुलिस

14 अगस्त, 2021
राहुल गाँधी ने दिल्ली में नाबालिग की हत्या का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया था (चित्र साभार: टाइम्स ऑफ़ इंडिया)

अगस्त माह की शुरुआत में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में दिल्ली छावनी के पास एक मासूम की कथित हत्या एवं दुष्कर्म के आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने एक अदालत में बताया है कि इस बात के प्रमाण अभी भी नहीं मिले हैं कि बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था।

पुलिस ने अपने बयान में कहा कि कथित तौर पर मारे जाने से पहले नौ साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए अब तक कोई सबूत नहीं मिला है।

मामले के जाँच अधिकारी (आईओ) ने अदालत को बताया कि चारों आरोपितों के बयानों से पता चला है कि उनमें से दो लोगों ने नाबालिग पीड़िता के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। ये दो लोग श्मशान घाट में रहने वाले राधे श्याम और उसके कर्मचारी कुलदीप सिंह बताए जा रहे हैं।

जाँच अधिकारी ने अदालत को बताया कि अन्य आरोपितों – सलीम अहमद और लक्ष्मी नारायण, जो कि श्मशान घाट में ही काम करते हैं, ने मृतक बच्ची का अंतिम संस्कार करने में उनकी मदद की थी।

पुलिस ने यह भी कहा कि उनके पास केवल 4 में से 2 आरोपितों के वो बयान हैं, जिनमें उनके द्वारा अपराध स्वीकार किए गए हैं। अपनी रिपोर्ट में, आईओ ने अदालत को यह भी बताया कि 3 अगस्त को किए गए पीड़िता के पोस्टमार्टम के अनुसार, ‘मृतक के शरीर पर किसी भी यौन हमले के संबंध में कोई निश्चित सबूत का पता नहीं लगाया जा सका है’।

जाँच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “…लेकिन यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मृतक की मौत के बाद शव को जलाया गया था।”

अदालत ने 12 अगस्त को पारित आदेश में कहा, ‘‘जाँच अधिकारी ने स्वीकार किया है कि न तो किसी चश्मदीद गवाह का कोई बयान और न ही कोई अन्य सबूत, जिसमें चिकित्सा या वैज्ञानिक तथ्य शामिल हैं, यह पुष्टि करने के लिए एकत्र किया जा सका है कि पीड़ित बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था या नहीं। उन्होंने कहा है कि इस स्तर पर, वह निर्णायक रूप से यह नहीं कह सकता कि पीड़ित बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।’’

अदालत ने कहा कि पुलिस के समक्ष आरोपित व्यक्तियों के खुलासे वाले बयान, जब तक कि अन्य सबूतों द्वारा समर्थित न हों, कानून के तहत स्वीकार्य नहीं होते।

विशेष न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने मृतक बच्ची की माँ को 2.5 लाख रुपए उसकी बच्ची की मृत्यु के लिए अंतरिम राहत के रूप में प्रदान किए। अदालत ने कहा कि जाँच एजेंसी खुद इसको लेकर आश्वस्त नहीं है कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।

सुनवाई के बाद अदालत ने चारों आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये सभी बच्ची की माँ से परिचित थे। दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई और फिर उसके माता-पिता की सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मामले को हाल ही में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा सौंपा गया था।

आरोपितों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376 और 506 के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

गैंगरेप आरोपित मो सलीम ‘राजू’ बन कर रहा था श्मशान में हिन्दुओं का अंतिम संस्कार

9 वर्षीय मासूम बच्ची से कथित रेप औऱ हत्या के लिए हिन्दू श्मशान घाट से जुड़े गिरफ्तार लोगों में एक मुस्लिम व्यक्ति सलीम भी है जो नाम छुपाकर वहाँ रह रहा था। सलीम लम्बे समय से वहाँ आने वाले हिन्दुओं के शवों का अंतिम संस्कार भी कर रहा था।

इस प्रकरण को वामपंथी एवं कॉन्ग्रेस-पोषित गिरोह द्वारा ‘ब्राह्मण घृणा’ में लपेटकर परोसा गया लेकिन इससे पहले कि राहुल गाँधी और उनके समर्थक अपने इस कारनामें में सफल हो पाते, यह गुब्बारा फूट पड़ा और सलीम की पहचान बाहर आ गई।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपित राधे श्याम (55), कुलदीप कुमार (63), लक्ष्मी नारायण (48) और मोहम्मद सलीम (49) को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है।

सलीम नाम का शख्स अपनी पहचान हिंदू बताकर पिछले काफी समय से श्मशान भूमि में कार्य कर रहा था। उसने कभी किसी को इस बारे में पता नहीं चलने दिया। इस घटना के प्रकाश में आने पर जब एफ़आईआर में आरोपित का असली नाम पुलिस ने ‘राजू’ के बजाय मोहम्मद सलीम लिखा, तो श्मशान के ही अन्य लोग दंग रह गए।



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