सोशल मीडिया पर तथाकथित फैक्ट चैकर मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा एक बार पुनः एक फेक न्यूज़ चलाई गई। ज़ुबैर द्वारा एक वीडियो ट्विटर पर डाली गई, जिसमें कुछ उपद्रवियों द्वारा समुदाय विशेष के एक बूढ़े व्यक्ति को मारते एवं उसकी दाढ़ी काटते दिखाया गया।
कथित ‘फैक्ट चेक’ वेबसाइट ‘ऑल्टन्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने यह दावा कि इन युवकों द्वारा बूढ़े व्यक्ति से ‘जय श्री राम’ का नारा बुलवाया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले की जाँच के बाद इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है।
सोशल मीडिया पर तथाकथित फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ चलाने वाले ‘फैक्ट चैकर’ मोहम्मद ज़ुबैर ने एक बार पुनः इंटरनेट पर फेक वीडियो चलाते हुए अराजकता फैलाने का प्रयास किया है।
ज़ुबैर द्वारा उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद ज़िले के लोनी क्षेत्र की एक वीडियो साझा की गई, जिसमें कुछ व्यक्तियों द्वारा एक बूढ़े मुसलमान आदमी को बेरहमी से मारा जा रहा है तथा उसकी दाढ़ी काटते हुए दिखाया जा रहा है। मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने ट्वीट में लिखा कि इस बूढ़े व्यक्ति को बंदूक की नोक पर मारा एवं यातनाएँ दी गईं और उपद्रवियों द्वारा उसकी दाढ़ी काट दी गई।
कथित ‘फैक्ट चेकर’ ने आगे एक और वीडियो साझा किया जिसमें एक व्यक्ति दिखता है। वीडियो में नजर आ रहा यह व्यक्ति समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता प्रतीत हो रहा है। यह व्यक्ति उसी पीड़ित अब्दुल के साथ वीडियो बनाकर उससे उसकी आपबीती सुन रहा है।
इस वीडियो को साझा करते समय मोहम्मद ज़ुबैर ने पीड़ित अब्दुल का नाम लेते हुए यह दावा किया कि उन गुंडों द्वारा अब्दुल से ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने का दबाव बनाया गया।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि पीड़ित की पिटाई की वीडियो को ‘म्यूट’ करके साझा किया गया था, ताकि वीडियो में किसी प्रकार की कोई आवाज़ न सुनाई दे।
इस घटना के बाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा भी इस वीडियो को साझा किया गया। उन्होंने लिखा कि वीडियो में हमला करने वाले युवक हिंदुत्व की विचारधारा रखने वाले ‘हिंदूवादी गुंडे’ हैं।
पूरे मामले की जाँच करते हुए गाज़ियाबाद पुलिस ने तीन दोषियों को गिरफ्तार किया और पूरा मामला सामने रखा।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित अब्दुल ताबीज़ बनाने का काम करता है तथा हमलावरों के द्वारा यह दावा किया गया कि अब्दुल के बनाए ताबीज़ का उनके परिवार पर उल्टा असर हुआ है।
इसी नाराजगी में कुछ उपद्रवियों- कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल, परवेश और मुशाहिद द्वारा अब्दुल पर हमला किया गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई।
पुलिस द्वारा कल्लू, परवेश और आदिल को गिरफ्तार किया जा चुका है। पूरे मामले पर पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार के हिंदू नारे लगवाने या मामले में हिंदू धर्म की भागीदारी होने की बात नहीं कही गई है।
इस घटना में शामिल पीड़ित एवं लगभग सभी उपद्रवी समुदाय विशेष से आते हैं परंतु फिर भी इसे ‘जय श्री राम’ का नैरेटिव देने का प्रयास किया गया। फैक्ट चेकर गिरोह का प्रयास यह था कि इस घटना को मजहबी रंग देते हुए इसके लिए हिन्दुओं को अपराधी साबित कर दिया जाए।
मामले को गर्म होता देख बिना जाँच-पड़ताल किए ‘द वायर’ जैसी कई वामपंथी मीडिया संस्थाओं द्वारा घटना को लेकर फेक न्यूज़ चलानी प्रारंभ कर दी गई। ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा भी इस न्यूज़ को प्रकाशित किया गया। ‘डेक्कन हेराल्ड’ ने भी ‘जय श्री राम’ के नाम पर यह फेक न्यूज़ चलाई।
कई अन्य मीडिया कर्मियों एवं वामपंथी विचारधारकों द्वारा भी इस नकली वीडियो को साझा करके अराजकता फैलाने का प्रयास किया गया। इनमें कथित पत्रकार राणा अय्यूब एवं लेखिका सबा नक्वी शामिल हैं। सलमान निज़ामी और मस्कूर उस्मानी जैसे कॉन्ग्रेसी सदस्यों के द्वारा भी वीडियो ट्वीट की गई।
हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित आरजे सायमा द्वारा इस खबर को साझा करते समय ‘कौन हैं ये आतंकवादी?’ लिखकर उत्तर प्रदेश पुलिस को इन्हें पकड़ने की बात कही गई।
पिछले कुछ सालों में इंटरनेट पर इस प्रकार के झूठ चलाए गए हैं। इनमें या तो दो लोगों की आपसी रंजिश या फिर मजहब के ही लोगों की आपसी लड़ाई में यह दावा किया जाता है कि पीड़ित से ‘जय श्री राम’ या ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगवाने का प्रयास किया गया।
25 मई, 2019 के गुरुग्राम की एक घटना ने इसका सीधा विश्लेषण कर दिया था। इस आपसी मुठभेड़ की घटना में मोहम्मद बरकत आलम के इस दावे को जाँच में झूठा पाया गया था कि उससे ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ बुलवाने का प्रयास किया गया।
कुछ समय पूर्व समस्त वामपंथी मीडिया द्वारा हरियाणा के एक युवक आसिफ खान की आपसी रंजिश में की गई हत्या को भी यही नैरेटिव देने का प्रयास किया गया था।
बता दें कि इसी समय कट्टरपंथी विचारधारक शरजील उस्मानी द्वारा यह हिंदू घृणा से सना ट्वीट भी किया गया था कि जो हिंदू ‘जय श्री राम’ का नारा लगाता है वह आतंकवादी है।